देहरादून,। सफाई कर्मचारियों के नियमीतिकरण के लिए जारी किये गये शासनादेश के विरोध में नगर विकास कर्मचारी महासंघ ने कार्य बहिष्कार करते हुए धरना दिया और कहा कि सरकार दोहरी नीति अपना रही है जिसका विरोध किया जायेगा। उनका कहना है कि दैनिक वेतन व संविदा कर्मचारियों का शासनादेश शीघ्र जारी नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जायेगा, इसके लिए रणनीति तैयार की जायेगी। वहीं उन्होंने क्रमिक अनशन को जारी रखा। यहां नगर विकास कर्मचारी महासंघ से जुडे हुए कर्मचारी अध्यक्ष नाम बहादुर के नेतृत्व में नगर निगम में इकटठा हुए और वहां पर उन्होंने प्रदर्शन करते हुए धरना दिया और क्रमिक अनशन को आज भी जारी रखा। वक्ताओं ने कहा कि शहरी विकास सचिव से वार्ता के बाद भी आज तक समस्याओं का समाधान नहीं किया गया है और पिफर वार्ता की जायेगी। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जुलाई माह में कैबिनेट की बैठक में 859 स्थाई सपफाई कर्मचारियों एवं 2061 संविदा सपफाई कर्मचारियों की भर्ती करने का निर्णय लिया गया था जिसके क्रम में उत्तराखंड शासन द्वारा नगर निगम में दोहरी नीति अपनाते हुए इस माह 22 नवम्बर को सपफाई कर्मचारियों के नियमितीकरण हेतु शासनादेश जारी कर दिया गया है।
उनका कहना है कि नगर निगम एवं समस्त उत्तराखंड नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतो आदि मंे कार्यरत लगभग ढाई सौ सामान्य दैनिक वेतन, संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण न किये जाने के कारण समस्त सामान्य दैनिक वेतन एवं संविदा कर्मचारियों के हितों की रक्षा हेतु संघ पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है और उनकी आवाज को बुलंद करेगा। उनका कहना है कि वह शासन की उपेक्षा व उदासीनता से खिन्न है जिस कारण आंदोलन का रूख अपनाया जा रहा है और सरकार की ओर से दोहरी नीति का पुरजोर तरीके से विरोध किया जायेगा। उनका कहना है कि दैनिक वेतन व संविदा कर्मचारियों का शासनादेश शीघ्र जारी नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जायेगा, इसके लिए रणनीति तैयार की जायेगी। इस अवसर पर कर्मचारियों ने निगम प्रशासन के जरिये मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित करते हुए शीघ्र ही शासनादेश जारी किये जाने की मांग की है। इस अवसर पर कार्य बहिष्कार व धरने व प्रदर्शन में महासंघ के अध्यक्ष नाम बहादुर, सचिव सतेन्द्र कुमार, स्वर्ण सिंह पंवार, राजेश कुमार, धीरज भारती, यशपाल सिंह नेगी सहित अनेक कर्मचारी मौजूद थे।