15 हजार के बदले 7 लाख चुकाए, बेच दी सम्पत्ति फिर भी कर्ज बाकि

7 lakhs paid instead of 15 thousand

7 lakhs paid instead of 15 thousand

ब्याज के गोरखधंधे में हो रहे कई घर तबाह
घर की बेटियों को मिल रही धमकियां
स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार पर टूटा सूदखोरों का कहर

देहरादून। 7 lakhs paid instead of 15 thousand साहब हमारे परिवारों को सूदखोरों से बचा लो वरना हम कुछ गलत कमद उठा लेंगे। यह पफरियाद है राखी मिश्रा और योगिता यादव के परिवार की। जो मात्र 10 से 15 हजार के कर्जे में अपना सब कुछ लुटा बैठे हैं।

ब्याज पर ली गई सिर्फ 15 हजार की रकम लगभग 7 लाख तक बढ़ती चली गई और परिवार कर्ज तले दबता चला गया। जब होश आया तो सबकुछ चैपट हो चुका था। जिसके बाद दोनों परिवारों ने बाल संरक्षण आयोग में शिकायत दर्ज कर मदद की गुहार लगायी।

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने डीजी कानून एवं व्यवस्था अशोक कुमार को इस संबंध में पत्र लिख कर कानूनी कार्रवाई करने के आदेश जारी किये है।

दरअसल दोनों परिवारों की कहानी एक जैसी ही है। राखी के हंसते-खेलते परिवार पर दुखों का पहाड़ तब टूटा जब उसके पति एक सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गए।

आर्थिक तंगी के चलते राखी ने माया लखेड़ा से पति के इलाज के लिए 15 हजार रूपये 20 प्रतिशत ब्याज की दर पर कर्ज लिया। जिसे 3 माह तक न चुकाने पर यह रकम 24 हजार रूपये हो गई।

यहीं से शुरू होती है परिवार के खराब दौर की शुरुआत। साथ ही शुरू होता है सूदखोरों का घिनौना खेल। कर्ज लेने के बाद माया साढ़े चार हजार रुपये प्रति माह के हिसाब से ब्याज वसूलने लगी।

न दिए जाने की स्थिति में पांच सौं रुपये प्रतिदिन के हिसाब से पेनल्टी भी वसूलने लगी। जिसकी न कोई रसीद कटती थी न ही कोई लेखा-जोखा । जैसे तैसे राखी और योगिता ब्याज के पैसे चुकाती रही। जिसके लिए उन्हें अपने रिश्तेदारों से भी कई बार मदद लेनी पड़ी।

राखी ने मायके वालों से भी काफी पैसे लिए

धीरे-धीरे ब्याज की रकम लाखों में पहुंच गयी। लाॅकडाउन के दौरान राखी ने मायके वालों से भी काफी पैसे लिए। जिस कारण उन पर कर्ज के ऊपर और अधिक कर्ज चढ़ता गया।

इस बीच माया ने योगिता को बहला-फुसलाकर किसी और से कर्ज लेने को कहा और उसका ब्याज चुकता करने को कहा। जिसके लिए माया ने योगिता को बिंदु के पास भेजा। लेकिन फिर भी ब्याज है कि खत्म नहीं होता।

अब योगिता दोगुना ब्याज का पैसा देने लगी। ऐसे करते-करते लाखों रुपए ब्याज के रूप में दे चुकी थी। जब योगिता पैसे देने की स्थिति में नहीं थी तो उन पर लगातार दबाव बनाया जाने लगा।

साथ ही उनकी बेटियों को धमकी दी जाने लगी। ऐसे ही राखी ने भी थक हार कर हरबर्टपुर में जोड़ी गयी संपति भी मात्र 5 लाख रुपये में बेच दी। जिससे कि साढ़े चार हजार लाख रुपये का भुगतान ब्याजखोरों को किया गया।

लेकिन अब भी योगिता और राखी को ब्याज के लगभग ढाई लाख का बकाया बताया जाने लगा। सब कुछ लुट जाने के बाद उन्होंने बाल संरक्षण आयोग में शिकायत दर्ज करवाई। जिसकी भनक लगते ही माया ने एक लाख सत्तर हजार रूपये का नोटिस वकील से लिखवा कर योगिता को भिजवा दिया।

योगिता और राखी जैसे न जाने कितने परिवारों की कहानी ऐसे ही कर्ज तले बर्बाद हो जाती है। बता दें योगिता एक स्वतंत्राता सेनानी परिवार से ताल्लुक रखती हैं।

फिलहाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था को पत्र लिखकर उचित कार्यवाही करने के आदेश दिये है। वहीं पीड़ित परिवारों ने बच्चों और परिवार की सुरक्षा के लिए मदद की गुहार लगाई है।

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