अबकी यू दिल को सजा दी हमने
उस की हर बात भुला दी हमने,
एक-एक फूल बहुत याद आया
शाख-ए-गुल जब वो जला दी हमने।
आज तक जिस पे वो शर्माते हैं
बात वो कबकी भूला दी हमने,
सारे जहां राख से आबाद हुआ
आग जब दिल की भुझा दी हमने।
शायरी : दिल लगी थी उसे हमसे मोहब्बत कब थी
आज फिर याद बहुत आया वो
आज फिर उसको दुआ दी हमने,
कोई तो बात है उसमें ‘फैज’
हर खुशी जिसपे लुटा दी हमने।।