Adulteration found in mustard oil at 20 places
देहरादून। Adulteration found in mustard oil at 20 places स्पेक्स देहरादून ने जून से सितंबर तक सरसों के तेल में मिलावट के परीक्षण के लिए अभियान शुरू किया, जिसमें स्पेक्स से जुडे़ स्वयं सेवकों ने उत्तराखंड के 20 स्थानों जैसे देहरादून, विकास नगर, डोईवाला, मसूरी, टिहरी, उत्तरकाशी, ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, गोपेश्वर, हरिद्वार, जसपुर, काशीपुर, रुद्रपुर, राम नगर, हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ से 469 नमूने एकत्र किए जिनमें से 415 नमूने मिलावटी पाए गए।
जहाँ मसूरी, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, गोपेश्वर और अल्मोड़ा में सरसों के तेल के नमूनों में शत-प्रतिशत मिलावट पाई गई, वहीं जसपुर में न्यूनतम मिलावट 40 प्रतिशत, काशीपुर में 50 प्रतिशत पाई गई। इसका खुलासा उत्तरांचल प्रेसक्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान स्पेक्स संस्था के सचिव डा. बृजमोहन शर्मा ने किया।
उन्होंने बताया कि उत्तरकाशी में 95 प्रतिशत, देहरादून 94 प्रतिशत, पिथौरागढ़ 91 प्रतिशत, टिहरी 90 प्रतिशत, हल्द्वानी 90 प्रतिशत, विकासनगर 80 प्रतिशत, डोईवाला 80 प्रतिशत, नैनीताल 71 प्रतिशत, श्रीनगर 80 प्रतिशत, ऋषिकेश 75 प्रतिशत, रामनगर 67 प्रतिशत, हरिद्वार 65 प्रतिशत, रुद्रपुर में 60 प्रतिशत मिलावट पाई गई।
उपरोक्त नमूनों में पीले रंग यानी मेटानिल पीला, सफेद तेल, कैटर ऑयल, सोयाबीन और मूंगफली जिसमें सस्ते कपास के बीज का तेल होता है, और हेक्सेन की मिलावट का अधिक प्रतिशत पाया गया।
सरसों के तेल में सस्ते आर्जीमोन तेल की मिलावट पाई जाती है जिससे जल शोथ रोग होते हैं, इसके लक्षणों में पूरे शरीर में सूजन, विशेष रूप से पैरों में और पाचनतंत्र संबंधी समस्याएं जैसे उल्टी, दस्त और भूख न लगना शामिल हैं, ऐसे में थोड़ी सी भी मिलावट जलन पैदा कर सकती है, जो कि उस समय तो कोई बड़ी बात नहीं लगती, परन्तु लंबे समय में इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।
सरसों के तेल में लगभग 60 प्रतिशत मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (42 प्रतिशत इरूसिक एसिड और 12 प्रतिशत ओलिक एसिड) होता है; इसमें लगभग 21 प्रतिशत पॉलीअनसेचुरेटेड वसा (6 प्रतिशत ओमेगा-3 अल्फा-लिनोलेनिक एसिड और 15 प्रतिशत ओमेगा-6 लिनोलिक एसिड होता है और इसमें लगभग 12 प्रतिशत सैचुरेटेड फैट होता है।
ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड का यह सर्वाधिक अनुपात और सैचुरेटेड फैट की कम मात्रा सरसों के तेल को अधिक फायदेमंद बनाती है। यह सैचुरेटेड फैटी एसिड (एसएफए) में कम, मुफा और पूफा में उच्च, विशेष रूप से अल्फा-लिनोलेनिक एसिड के कारण कार्डियो सुरक्षात्मक में प्रभाव डालता है और इसका एलएरू एएलए अनुपात (6ः5) अच्छा होता है।
मायोकार्डियल इन्फर्क्ट रोगियों हेतु सरसों तेल के उपयोग करने से, हृदय गति रुकने और एनजाइना में कमी आती है । इस प्रकार, सरसों के तेल को हृदय संबंधी विकारों के रोगियों के लिए एक स्वस्थ विकल्प माना जाता है। 6 (लिनोलेनिक एसिड) और 3 (अल्फा-लिनोलेनिक एसिड) आवश्यक फैटी एसिड हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद साबित हुए हैं।
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