एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी छोटे-बड़े राजनीतिक दलों ने कमर कसली है तो वहीं दूसरी तरफ संभल से लोकसभा से 4 बार संसाद रह चुके सहफ़ीक़ुर्रहमान बर्क ने AIMIM दामन थाम लिया है यूपी की राजनीतिक दंगल को और मज़ेदार बन दिया है। राजनीतिक गलियारों में उनके इस कारनामे से काफी हलचल है और अनुमान लगाया जा रहा है कि AIMIM के लिए वह आइकन बनकर उभरेगे
सूत्रों के अनुसार उनके ही खासा करीबी रिश्तेदार शरिम अलीग जो खुद भी AIMIM के सदस्य हैं उन्होंने बताया कि पूर्व संसद सहफ़ीक़ुर्रहमान बर्क ने AIMIM ज्वाइन कर लिया है और पार्टी ने बेलारी विधानसभा से चुनाव लड़ने का टिकट भी दे दिया है लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया और अपने पोते जियाउर्रहमान बर्क़ को संभल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला किया है
शरिम ने बताया कि मैं उस वक़्त उनके साथ था जब उन्हों ने AIMIM ज्वाइन किया। बताया की वह अपने पोते को चुनाव लड़ाएंगे और AIMIM की तमा सीटों पर चुनाव प्रचार करेंगे।
शरिम ने बताया की सहफ़ीक़ुर्रहमान बर्क साहब से AIMIM लगातार संपर्क में थे गौरतलब है कि शफीकुर्रहमान बर्क़ संभल लोकसभा से 4 बार सांसद रह चुके हैं और उन्होंने अपना राजनीतिक करियर 1970 में शुरू किया था। वह समाजवादी पार्टी के फाउंडर मेंबर भी है पहली बार लोकसभा चुनाव 1996 में लाडे थे और जीत भी दर्ज करी थी तभी से वह बराबर संसद बनते आ रहे थे | सहफ़ीक़ुर्रहमान बर्क एक ऐसे पुर्व संसद थे कि जब तक वह इस पद पर रहे तब तक संसद में मुसलमानों की हर परेशानी को ज़ोरो शोर से उठाते रहे है |
2014 के चुनाव में सहफ़ीक़ुर्रहमान बर्क हार गये थे उन्होने बतया की वो हार मेरे अपनी पार्टी की वजह से हुई थी आरोप लगते हुए बोले की मेरी ही पार्टी मुझे हरा रही थी हम जानते है क्यों वो साजिश रची गई आप को बता दे सहफ़ीक़ुर्रहमान बर्क के AIMIM में आने से संभल में पार्टी को फ़ायदा होगा या नहीं ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा सूत्र बता रहे सहफ़ीक़ुर्रहमान बर्क AIMIM की जब से घोषणा हुई है तब से वहा के कार्यकर्ताओ में काफी उत्साह नजर आ रहा है |