एंड्रॉयड फोन उपयोगकर्ताओं की प्राइवेसी के लिए खतरा?

Android

अगर आाप अपने एंड्रॉइड फोन पर लोकेशन शेयर को बंद करके समझते हैं कि अब गुगल लोकेशन ट्रैक नहीं कर सकता तो यह जान लें कि ऐसा मुमकिन नहीं है। जीं हां, एक नए शोध में इस बात की पुष्टि की गई है कि गुगल एंड्रॉइड फोन का लोकेशन डेटा उस वक्त भी इकट्ठा करता है जब लोकेशन सर्वीस को टर्न आॅफ किया जा चुका होता है।

क्वार्ट्ज के इस शोध से पता चला है कि एंड्रॉइड फोन करीबी मोबाइल टाॅवर को डिवाईस की मौजूदा लोकेशन भेजते हैं और यह डेटा वापस गुगल के पास जाता है। अब चाहे आप ने लोकेशन शेयरिंग सेटिंग को बंद ही क्यों न रखा हो, चाहे आपके फोन में सिम न भी हो और कोई ऐप भी इस्तेमाल न कर रहे हो, मगर गुगल को इस डेटा के लिंक से फिर भी नहीं रोका जा सकता।

शोधकर्ताओं का कहना था कि नतीजे से पता चलता है कि गुगल को हर  व्यक्ति की लोकेशन डेटा तक पहुंच सकता है और वह उपयोगकर्ता की गोपनीयता से बेपरवाह उनकी हर हरकत को ट्रैक कर सकता हैं। इस संदर्भ में, गूगल के प्रवक्ता ने शोधकर्ताओं को बताया कि मोबाइल फोन टावर डिवाईस की लोकेशन को गुगुल के उपयोग प्रणाली में भेजते हैं जाकि पिछले 11 माह के दौरान भेजे जाने वाले नोटिफिकेशन और मैसेज के व्यवस्थित किया जा सके।

इस तरह के डेटा को कभी उपयोग या संरक्षित नहीं किया जाता है और कंपनी इसे खत्म करने के लिए कदम उठा रही है। वैसे यह कोई राज नहीं कि गुगल एंड्रॉइड की लोकेशन को ट्रैक करता है। उपयोगकर्ता द्वारा उपयोग होने वाले फोन में अधिकांश ऐप लोकेशन सर्विस के बगैर काम नहीं करते।

वैसे अगर आप गुगल को खुद पर नजर रखने से रोकना चाहते हैं तो अपनी लोकेशन हिस्ट्री को गुगल मेपस टाइम लाइन में जाकर डिलेट कर दें। हालांकि, यह स्पष्ट है कि इसके बावजूद आप मुकमलतौर पर गुगल की निगरानी से जान नहीं छुड़ा सकते क्योंकि इससे निजात का फिलहाल कोई तरीका सामने नहीं आया बस अस्थायी तौर पर ही ऐसे रोका जा सकता है।