कैम्ब्रिज। ब्रिटिश विशेषज्ञों ने एक ऐसा एल्गोरिथ्म बनाया है जो किसी भी भीड़ प्रारूप देखकर उसकी उदासी या असुविधा के बारे में बता सकता है। एल्गोरिथ्म के मदद से चरवाहों को बेजबान पशु की किसी बीमारी, रोग और पीड़ा को समय से पहले जानने में मदद मिलेगी और उनका प्रभावी इलाज करना संभव होगा।
कैमरज विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों का मानना है कि मवेशी और केवल भेड़ें अपने चेहरे से बहुत कुछ बताते हैं, इसके लिए उन्होंने पशु चिकित्सकों से भेड़ के 500 विभिन्न चित्र लियें और उनके चेहरे पर पाई जाने वाली 5 प्रतीकों पर विचार किया जो उनकी शारीरिक स्थिति को प्रदर्शित करती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार किसी दर्द या बेचैनी के मामले में भेड़ों की आंखें सिकुड़ जाती हैं और गाल खिंच जाते हैं, कान आगे की ओर मुड़ जाते हैं, होंठ पीछे हो जाते हैं और नथुने वी से यू आकार के हो जाते हैं।
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विशेषज्ञों का मानना है कि यह बात घोड़ों, चूहों और खरगोशों पर भी लागू होती है लेकिन इसके लिए अधिक शोध की जरूरत है। ऐसे फार्म या पशुओं के बर्तन में कैमरे लगाए करके उनकी बीमारी का पहले से एहसास किया जा सकता है। जीव विशेषज्ञों का कहना है कि पशुओं के भाव पहचानने में प्रसिद्ध वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन को पूर्णता योग्यता प्राप्त थी और ठीक उन्हीं पदों पर इस सॉफ्टवेयर को भी बनाया गया है।
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इसी शोध टीम में शामिल एक महिला मारवी महमूद कहती हैं कि मानव चेहरे की मांसपेशियों और जानवरों की मांसपेशियों में समानता पाई जाती है जो विभिन्न दशाओं में प्रकट होती है। लेकिन भेड़ का मामला अलग है क्योंकि उन्हें विभिन्न पाॅज देने नहीं कहा जा सकता। विशेषज्ञों को आशा हैं कि अधिक डेटा शामिल होने से जानवरों की भावनाओं को बेहतर रूप में माना जा सकता है।
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