Ankylosing spondylitis अगर आप झुक कर चल रहे तो यह खबर जरूर पढ़े
आंक्यलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing spondylitis) में मरीज के शरीर में अंदरूनी बदलाव आते हैं और शरीर में रीड की हड्डी और कूल्हे आपस में जुड़ जाते हैं। इस बीमारी का कारण अभी तक अज्ञात है। यह बीमारी आमतौर पर युवावस्था में शुरू हो जाती है, ज्यादातर 17 से 45 साल के लोग इससे अधिक प्रभावशाली होते हैं|
कैसे करे इसकी पहचान
- प्रारंभिक अवस्था में जोड़ों में तेज दर्द होना
- जॉइंट में अकड़न का बढ़ते जाना
- कुछ दिनों बाद जोड़ों के मूवमेंट का कम होते जाना
- बीमारी के कारण रीड की हड्डी में खींचा वट बढ़ जाती है ,इसके परिणाम स्वरुप गर्दन और कमर पर दुष्प्रभाव पड़ता है
- इसकी गंभीर अवस्था में कूल्हा प्रत्यारोपण रिप्लेसमेंट की नौबत आ सकती है
फिजियोथेरेपी कैसे देती है इसमें राहत

फिजियोथेरेपी का उद्देश्य दर्द को कम करना और रीड की हड्डी की गतिशीलता व कार्य क्षमता में वृद्धि करना है। इसके अलावा सुबह के समय जोड़ों की जकड़न को कम करना और अन्य विकृतियों को भी दूर करना है, तो जानें फिजियोथैरेपी से संबंधित जानकारियां जिन पर अमल फिजियोथैरेपिस्ट से परामर्श के बाद ही करना चाहिए।
1- ग्लोबल पोस्चरल रीएजुकेशन मेथड से मरीज को काफी अच्छे परिणाम मिलते हैं, इस मेथड में स्ट्रेथनिंग और फ्लेक्सिबिलिटी से संबंधित व्यायाम शामिल है।
2 गहरी सांस से संबंधित व्यायाम से मरीज को लाभ मिलता है, जैसे -नाक से सांस लेना और मुंह से छोड़ना।
3 स्पाइनल स्ट्रेथनिंग एक्सरसाइज कम से कम दो बार जरूर करनी चाहिए।
4-मरीज को सोने की स्थिति को सही रखना चाहिए पतला तकिया लेकर या बिना तकिए के सक्त बेड का इस्तेमाल करना उचित होता है।
5-लगातार पेट के बल सोने की कोशिश करनी चाहिए।
6-मैनुअल मोबालाइजेशन यानी जोड़ों को गतिशील बनाने वाले व्यायाम करने चाहिए।
खानपान में खास दे ध्यान
- ओमेगा 3 फैटी एसिड्स जोड़ों की सूजन को कम करता है, इसलिए इसे ले।
- फलों और सब्जियों में विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं।
- साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, कॉर्न, दलिया आदि लेना चाहिए।
- कैल्शियम युक्त पेय पदार्थ जैसे दूध का सेवन बहुत लाभदायक होता है| दही में कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, इसलिए दही का सेवन भी करें।
- विटामिन डी की कैप्सूल ले। सूर्य का प्रकाश भी उचित मात्रा में लें, क्योंकि सूर्य के प्रकाश में विटामिन डी पाया जाता है।
- नमक, चीनी आदि कम मात्रा में लें
- फास्ट फूड का सेवन बहुत कम कर दे
- मैदे से बने खाद्य पदार्थों और वसा युक्त खाद्य पदार्थों से बचकर रहें।