पीटती हुई औरत : “मेल फेमिनिस्म” और बिम्बवाद Beating woman
हिना आज़मी
क्योंकि भारत में सुंदरता और ज्ञान का संगम नहीं हो सकता, इसलिए उसके लिए बाजार के प्रवक्ताओं ने “बिंबों” शब्द बनाया है। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार “बिंबों” का अर्थ है दिमाग से खाली एक सुंदर और युवा औरत। आज पॉप संगीत की दुनिया में एक से बढ़कर एक बिंबों सुंदरियां है, जो घोषणा पूर्वक अपने बिंबो होने को गर्व से प्रस्तुत करती आई हैं।
इनके गीत कुछ इस मूर्खतापूर्ण तर्ज पर होते थे “इफ यू वांट टू बी माय लवर, यू हैव गोटा टू बी माय फ्रेंड”, “एलिमेंट भील” और “धर्मा एंड ग्रैंड” ऐसे ही लोकप्रिय टीवी सीरियल रहे, जिनकी नायिकाओं की कल्पना शक्ति बेहद सीमित थी , इन्हीं की नकल में कई भारतीय TV एक्ट्रेस ने इनकी इस संस्कृति का अनुसरण किया, जैसे -मलाइका अरोड़ा और नफीसा जोसेफ जैसी ना जाने कितनी बिंबों लड़कियों ने ये संस्कृति को पकड़ा, जो अपनी हर हरकत से महिलाओं को खूबसूरत बनने का संदेश देती नजर आती रहती हैं।
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यदि यह सवाल पूछा जाए है कि कभी कोई सामान्य रूप से सुदर्शन और विदुषी महिला किसी टीवी कार्यक्रम की एंकर क्यों नहीं बनती? तो इसका उत्तर शायद किसी के पास नही मिल सके। अधिकांश घर में काम में व्यस्त रहने वाली ललिताजी रूपी हर गृहणी, सुंदर एक्ट्रेस को सीरियल के द्वारा दिन- रात देखती रहती हैं, तो उन पर भी उसका प्रभाव पड़ता है। उनके अंदर भी ऐसी महत्वकांक्षाएं जागती हैं।
तो फिर औरत क्यों बर्दाश्त करे?
खेर यह तो रही धारावाहिक की शौक़ीन महिला की बात लेकिन कितनी ऐसी महिलाये है जिनकी जिन्दगी पर पुरुषों का दबदबा है, इतना ही नही वह अपने ही घर में प्रताड़ित की जाती (Beating woman) है चाहे उसकी गलती हो य न, फिर भी सज़ा की हकदार उसे ही बनाया जाता है। हाल ही में चल रहे मामले में देख लें, जिसमे भारतीय क्रिकेट के प्रसिद्ध खिलाड़ी मोहम्मद शामी, जो भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन खुद के परिवार के मुखिया होते हुए भी घर नही बचा पाए।
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उनकी पत्नी हसीन जहां ने उन पर इल्जामत लगाये कि उनके और लड़कियों के साथ सम्बन्ध है, उनके पास सुबूत है फिर समाज उस औरत को ही गलत बता रहा है, यह कैसी बात हुई ? वह 4 वर्षो से सहन करती गयी जब पानी सर से उपर गया तो उसे लड़ना ही पड़ा। उनको गलत ठहराने वाले लोगों से मैं ये पूछना चाहती हूँ अगर वो उस औरत की जगह होते तो क्या करते।
अगर किसी व्यक्ति की पत्नी का सम्बन्ध किसी और के साथ होता है तो पति उसे और उसके प्रेमी को जान से मार देता है, ऐसी खबरे हम अक्सर देखते है, क्योंकि वह बर्दाश्त नही करता है, तो फिर औरत क्यों बर्दाश्त करे? वह बडे प्लेयर है तो कुछ भी कर सकते हैं। हसीन ने बताया कि किस तरह उसे हमेशा से प्रताड़ित किया गया, गलती पति की होने पर भी लोगो के उन पर ऐसे कमेंट्स उन लोगों के गाल पर तमाचा है जो लोग महिला सश्क्तिकरण की बड़ी बड़ी बाते करते है, लेकिन जब प्रेक्टिकली कुछ नही कर सकते है।
समाज महिलाओ के साथ बड़ी-बड़ी घटनाये होने पर ही क्यों जगता है?
सोचिये जब इतने बढे सेलिब्रिटी की पत्नी के लिए अपने अस्तित्व के लिय लड़ना इतना मुश्किल दिख रहा है तो उन आम महिलाओ का क्या होता है जो समाज की लाज शर्म से घुट-घुट कर मरती है, या आत्महत्या करती है। मैं यही सोचती हूँ कि समाज महिलाओ के साथ बड़ी-बड़ी घटनाये होने पर ही क्यों जगता है? वह तब रस्ते पर उतरता है जब पीड़ित महिला के जीवन का कोई मतलब नही रह जाता , निर्भया के केस में देखे, उसका साथ आवाम ने तब दिया जब उसकी धडकने उसका साथ छोडती जा रही थी, उसके मरने के बाद ही हजारो लोग केंडल लेकर निकले।
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अगर ये हजारो लोग पहले से ही तन्हा महिला की आवाज बुलंद करे, और यह महिला उस हिरन की तरह न हो जिसका शिकार कोई भी जंगली जानवर कर सके, बल्कि उस शेरनी की तरह बन जाये जिसकी एक दहाड़ से हर गीदड़ डर जाये, अगर ऐसा हुआ तो कई दामिनियों को समय रहते बचाया जा सकता है। उन पर उल्टा इल्जाम लगाना उचित नही है।
हसीन पर ऐसे वाहियात कमेंट्स करने वालो से मैं पूछना चाहूंगी, अगर आपकी बहन उनकी जगह होती तो क्या तब भी उसके लिए आप लोगो के ऐसे ही शब्द होते? नही ना। इन्सान में एक आदत बहुत बुरी है कि वह अपने लिए वकील बनकर, अपनी सफाई में दलीले पेश करता है और दूसरो के लिये जज बनकर उन्हें जज करता है। यह रवय्या सरासर गलत है।