दुनिया में अकसर आपने सुना होग कि स्त्री को समझा ही नामुमकिन है। लोगो का यह भी मानना है कि भगवान जिन्होंने स्त्री को बनाया वह भी इन्हे नहीं समझ सकता। और ऐसा माना जाता है कि स्त्रियों को समझपाना बहुत मुश्किल होता है। आपको जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि जब स्त्री की रचना हो रही थी तो भगवान ने बहुत फुर्सत से इसकी रचना की थी। और रचना करते-करते इतना वक्त लग गया कि देवता भी भगवान से सवाल करने लगे कि हे भगवान आपको श्रृष्टि की इस रचना में ज्यादा समय क्यों लग रहा है?
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दरअसल भगवान जब नारी की रचना कर रहे थे तब उन्हे 7 दिन पूरे हो चुके थे और उसके बाद भी रचना चलती रही लेकिन पूरी न हो सकी। अभी यह अधूरी थी, ऐसे में देवदूत प्रश्न करने लगे और विवश हो गये कि क्या वजह है कि भगवान को इतना ज्यादा समय लग रहा है। उन्होंने पूछा कि है प्रभु आपने 1 मिनट में दुनिया बना दी लेकिन नारी को बनाने में इतना समय क्यों लग रहा है? आखिर आपको इसे बनाने में इतना समय क्यों लग रहा है? इससे पहले आपने किसी भी रचना में इतना समय नहीं लगा? तब भगवान ने देवदूत को उत्तर दिया कि देवदूत क्या तुमने इसके गुण देखे हैं? जिसकी मैं रचना कर रहा हूं ये मेरी वह रचना है जो हर हालत में डटी रहती है। हालात कुछ भी हो अच्छे या बूरे कभी भी डिगती नहीं है। हमेशा हर परिस्थिती में संभाले रखती है फिर स्थिती चाहे कैसी भी हो, कितनी भी भयांनक क्यों न हो सबको खुश रखती है।
इसमें इतने गुण हैं कि यह अपने परिवार और बच्चो को एक समान प्यार करती है। जिस नारी की रचना में इतना वक्त लग रहा है वह न केवल अपना ध्यान बल्कि बिमार रहने के बावजूद घंटो कार्य करने की क्षमता रखती है। तो देवदूत तुम्ही बताओं कि जिस नारी की मैं रचना कर रहा हूं उसमें इतना समय लगना चाहिए कि नहीं? देवदूत मैने नारी में इतना प्रेम डाला है कि पूरी दुनिया एक तरफ हो जाये और नारी का प्रेम एक तरफ हो जाये फिर भी नारी के प्रेम में कभी भी कमी नहीं आयेगी।
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देवदूत ने जब भगवान की इन बातों को सुना तो हैरान रह गये और भगवान से पूछने लगे कि क्या ये केवल अपने दो हाथों के द्वारा इतना सबकुछ कर सकती है? तो भगवान ने इसका जवाब दिया, देवदूत बिल्कुल इसकी कारण तो यह मेरी सबसे अदभुत व सबसे आश्चर्यजनक रचना कहलायेगी। यह सब सुनने के बाद देवदूत ने पास जाकर भगवान की बनाई गई अधूरी रचना को जब हाथो से छुआ और जब उसके गाल पर हाथ लगया तो देवदूत प्रभु से बोले कि हे भगवान यह तो बहुत नाजुक है ये कैसे इतना सबकुछ कर पायेगी? तो भगवान इस प्रश्न पर मुस्करा कर कहते हैं हां तुम सही कह रहे हो देवदूत ये बाहर से जितनी नाजुक समझ आ रही है उतनी है नहीं। शरीर और स्वभाव नाजुक जरूर हैं पर अंदर से उतनी ही मजबूत है।
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देवदूत आपको जिस प्रकार से आश्चर्य हो रहा है उसी प्रकार से सबको होगा, लेकिन इस रचना में यही गुण है कि जितनी ज्यादा यह नाजुक है इससे ज्यादा नाजुक कोई रचना नहीं होगी। और यह उतनी ज्यादा मजबूत भी है लेकिन अवसर आने पर जब जैसा होगा उसी में ढल जायेगी। अर्थात यह कोमल है लेकिन इसे कमजोर समझने की गलती मत करना, यह जितनी कोमल दिखती है उतनी कमजोर है नहीं।