रुद्रप्राग। पंच केदारों में तृतीय केदार के रूप में विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट आज साढ़े दस बजे शीतकाल के लिये बंद किये जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली प्रथम रात्रि प्रवास के लिये चोपता पहुंचेगी और तीस अक्टूबर को शीतकालीन गददीस्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी। तुंगनाथ धाम के प्रबंधक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि शुक्रवार को पंच केदार में तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट सुबह साढ़े दस बजे छह माह के लिये बंद होंगे।
कपाट बंद होने से पूर्व भृंगराज, भष्म, ब्रम्हकमल सहित विभिन्न पूजार्थ सामाग्रियों से भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग को समाधि दी जायेगी और भगवान तुंगनाथ छह माह विश्व कल्याण के लिये तपस्यारत हो जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली तुंगनाथ धाम से रवाना होकर यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुये प्रथम रात्रि प्रवास को चोपता पहुंचेगी।
28 अक्टूबर को चोपता से प्रस्थान कर बनियाकुंड, दुगलविटटा, मक्कूबैंड होते हुये हुडडगू गांव पहुंचेगी और वनातोली में हुडडु व कांडा के ग्रामीणों द्वारा भगवान तुंगनाथ को सामूहिक अर्घ्य लगाया जायेगा और डोली दो रात्रि प्रवास के लिये भनकुंड पहुंचेगी। 30 अक्टूबर को भगवान तुंगनाथ की डोली भनकुंड से प्रस्थान कर राकसी नदी पहुंचेगी और गंगा स्नान कर शीतकालीन गददीस्थल मक्कूमठ के लिये रवाना होगी। लगभग दोपहर दो बजे डोली के मक्कूमठ पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ शीतकालीन गददीस्थल में विराजमान होंगे।