BJP government should issue white paper on the status of journalists
देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल ने उत्तराखंड में पत्रकारों के दमन को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उत्तराखंड सरकार से मांग की है कि वह पत्रकारों की स्थिति को लेकर अपना श्वेत पत्र जारी करें ( BJP government should issue white paper on the status of journalists )और अपना रवैया स्पष्ट करें।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी के विभिन्न संगठनों ने रिपब्लिक भारत के संपादक अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर उत्तराखंड में भी विरोध जताया और पुतला दहन तक किया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी को दुर्भाग्यपूर्ण और दमनकारी नीति बताते हुए इसकी भर्त्सना की थी।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की टिप्पणी को लपकते हुए उत्तराखंड क्रांति दल ने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत महाराष्ट्र के पत्रकार की गिरफ्तारी को लेकर चिंता जता रहे हैं लेकिन अपने राज्य उत्तराखंड में खुद त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार पत्रकारों के इस बुरी तरीके से दमन में लगी हुई है। उसके बारे में सरकार मौन साध रखी है।
उत्तराखंड क्रांति दल ने कहा कि सिर्फ 1 साल के कार्यकाल में ही उत्तराखंड के लगभग एक दर्जन पत्रकारों के खिलाफ खबरें प्रकाशित करने पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं। उत्तराखंड क्रांति दल ने कहा कि कोटद्वार में अवैध खनन की खबरें दिखाने पर कर्मभूमि टाइम के पत्रकार राजीव गौड़ और मुजीब नैथानी के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
वहीं विकासनगर में ट्रेंचिंग ग्राउंड की समस्याएं दिखाने पर वहां के पत्रकार सतपाल धनिया के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया। उत्तराखंड क्रांति दल ने क्राइम स्टोरी के संपादक राजेश शर्मा दुर्भाग्यपूर्ण गिरफ्तारी और थाने में पिटाई को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े किए तथा समाचार चैनल के पूर्व संपादक उमेश शर्मा के खिलाफ गंभीर धाराओं में गिरफ्तारी और मुकदमे दर्ज करने पर भी सवाल खड़े किए।
सरकार पत्रकारों की आवाज दबाना चाहती है : UKD
पर्वतजन के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल के खिलाफ भी राजद्रोह और गैंगस्टर की धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किए गए। हालांकि ये मुकदमे हाई कोर्ट के आदेश के बाद रद्द कर दिए गए उत्तराखंड क्रांति दल ने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा दर्ज मुकदमों के रद्द हो जाने से ही साफ हो जाता है कि सरकार पुलिस प्रशासन का दुरुपयोग करके पत्रकारों की आवाज दबाना चाहती है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार पत्रकारों के खिलाफ दर्ज FIR को निरस्त कराने के मामले में स्टे लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी उत्तराखंड सरकार को स्टे देने से मना कर दिया इससे साफ जाहिर है कि उत्तराखंड सरकार पत्रकारों पर दमन की मंशा से फर्जी मुकदमे दर्ज कर रही है।
इससे पहले डोईवाला के वरिष्ठ पत्रकार रजनीश सैनी के खिलाफ लॉकडाउन खबरें दिखाने पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया था। उत्तराखंड क्रांति दल ने पत्रकारों पर दर्ज मुकदमे तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि सरकार पत्रकारों का उत्पीड़न बंद करें और पत्रकारों की स्थिति को लेकर और अपने रवैया को लेकर तत्काल श्वेत पत्र जारी करें। पत्रकार वार्ता में उत्तराखंड क्रांति दल के नेता शिव प्रसाद सेमवाल तथा राजेंद्र सिंह बिष्ट व पत्रकार नितिन कुमार शामिल थे।
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