BJP is churning from every level on the lost seats
देहरादून। BJP is churning from every level on the lost seats उत्तराखंड भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष दो दिन के देहरादून दौरे पर हैं। इस दौरान बीएल संतोष मुख्यमंत्री समेत तमाम मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों से मुलाकात करके आगामी रणनीति और कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने वाले हैं।
लेकिन यहां सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात यह है कि बीएल संतोष देहरादून पार्टी मुख्यालय पर उन 23 विधानसभा सीटों में मिली हार को लेकर भी मंथन कर रहे हैं, जहां कांग्रेस बसपा या निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी।
राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) श्री @blsanthosh जी ने विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। बैठक में प्रदेश प्रभारी श्री @dushyanttgautam जी, सह प्रभारी श्रीमती @rekhavermabjp जी, सीएम श्री @pushkardhami जी व प्रदेश अध्यक्ष श्री @madankaushikbjp जी मौजूद रहे। pic.twitter.com/0gqZVYs5eF
— BJP Uttarakhand (@BJP4UK) April 24, 2022
भाजपा की चुनावी अप्रत्याशित जीत और सरकार बनाने के बावजूद हारी हुई सीटों पर इस तरह मंथन करना वाकई बाकी दलों के लिए एक बड़ा संदेश है और शायद इसीलिए कांग्रेस में भाजपा की इस तरह की तैयारियों को लेकर दबी जुबान में पार्टी हाईकमान पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि 10 मार्च को आय विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद तकरीबन 21 और 22 मार्च को कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और अविनाश पांडे की तरफ से पार्टी के प्रत्याशियों से बात की गई थी।
कांग्रेस के बड़े नेता एक दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ते हुए दिखाई दिए
इस दौरान उन्होंने प्रत्याशियों से चुनाव के अनुभवों को लेकर बातें साझा की। लेकिन ना तो इस बैठक में हार की विस्तृत समीक्षा बड़े स्तर पर की गई और ना ही इसके बाद कभी कांग्रेस नेताओं ने खुद की करारी हार पर चिंतन करने की जरूरत समझी।
विधानसभा चुनाव में इतना बड़ा झटका लगने के बाद हार की समीक्षा करने के बजाए कांग्रेस के बड़े नेता एक दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ते हुए दिखाई दिए।
हैरत की बात यह है कि पार्टी हाईकमान की तरफ से अब तक किसी बड़े नेता को उत्तराखंड भेजकर न तो विवाद सुलझाने की कोशिश की गई और ना ही हार के बाद आगे के कार्यक्रमों या हार के कारणों पर बूथ या जिला स्तर पर कोई मंथन किया गया।
जाहिर है कि कांग्रेस की ऐसी कार्यप्रणाली पार्टी की प्रदेश में हार को लेकर निश्चिनता को बयां करती है। बस इसी बात से पार्टी के कार्यकर्ता और कुछ बड़े नेता भी फिक्रमंद दिखाई देते हैं। हालांकि, इस मामले में फिलहाल पार्टी हाईकमान पर सवाल खड़े करने की हिम्मत करता हुआ कोई नहीं दिखाई दे रहा है।
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