BJP wants to break the Constitution
किसी भी कीमत पर देश के संघीय ढांचे को बर्बाद नहीं होने देंगेः सिद्दीकी
यूसीसी के खिलाफ नुमाइंदा ग्रुप उत्तराखंड ने किया विधानसभा का घेराव
देहरादून। BJP wants to break the Constitution उत्तराखण्ड सरकार की और से लाए जा रहे यूसीसी के खिलाफ सोमवार को नुमाइंदा ग्रुप उत्तराखंड की और से विधानसभा का घेराव किया गया। इस मौके पर सुप्रीम कोट के एडवोकेट मेहमूद प्राचा ने कहा कि सरकार की और से प्रस्तावित समान नागरिक संहिता विधेयक खामियों से भरा है, जिस का हम पुरजोर विरोध करते हैं।
उत्तराखण्ड सरकार डॉ. भीमराव अंबेडकर की और से रचित संविधान जो की देश की धार्मिक और सामाजिक परंपराओं व व्यवस्थाओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है, को खंडित करना चाहती है जिसे किसी भी समाज व्यक्ति स्वीकार नहीं करेगा। इस वाले कानून का असर सभी समाज के व्यक्तियों पर आएगा और घरों में फूट पड़ेगी, तमाम धर्म में बेटियों को संपत्ति में धार्मिक परंपराओं के अनुसार हिस्सेदारी की व्यवस्था सदियों से चली आ रही थी, जिसका कानूनी स्वरूप नहीं था, अपनी सहूलियत के अनुसार माता-पिता बच्ची को उसका हक सौंप देते थे।
यूसीसी में 50 फीसदी हिस्सेदारी को कानूनी स्वरूप देना सामाजिक ताने-बाने को बिखरने का काम करेगा। इसका उदाहरण इस तरीके से है कि अमूमन दामादों का नजरिया ससुराल की संपत्ति पर देखने को मिलता है, इसके कानूनी स्वरूप से बहुत सारी बातें विवाद उत्पन्न करेंगे और प्रदेश में तलाक के मामले सामने आएंगे। इस दृष्टि से यह कानून किसी भी समाज और धर्म के अनुकूल नहीं होगा।
नुमाइंदा ग्रुप उत्तराखंड के संयोजक याकूब सिद्दीकी ने कहा कि एक ही प्रदेश में जनजाति समाज के लोगों में बहुपति व्यवस्था है व थारू-बॉक्सर में ओपन विवाह का प्रचलन है, इस दृष्टि से एक विशेष समाज को कानून की परिधि में लेना न्यायोचित नहीं है। मुस्लिम महिलाओं को चार माह का वक्त इददत के लिए दिया जाता है उसके बहुत सारे धार्मिक और सामाजिक पहलू है जिस पर गहराई से अध्ययन करने की आवश्यकता है।
हम किसी भी कीमत में देश के संघीय ढांचे को बर्बाद होने नहीं देंगे
यह कह देना कि यह महिला पर अत्याचार है निरंतर गलत एवं तारक विहीन है। जस्टिस रंजना देसाई कमेटी का उत्तराखंड के तमाम जनपदों में इस कानून के संदर्भ में कैंप आयोजित किए गए जिसमें सुझाव मांगे गए तकरीबन कमोवेश 2 लाख से अधिक फॉर्म कमेटी को प्राप्त हुए जिसमें 172000 फार्म में इस कानून को न बनाए जाने की और इसकी खामियों का जिक्र किया गया।
बावजूद इसकेे कमेटी ने मुख्यमंत्री को कानून बनाने की सहमति दी, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी गई। यह कानून दोहरे मापदंड पर बनाया जा रहा है जिसे हमने सड़कों पर विरोध किया और यह विरोध जारी रहेगा। हम किसी भी कीमत में देश के संघीय ढांचे को बर्बाद होने नहीं देंगे।
इस मौके पर बौद्ध शेड्यूल ट्राइब के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते करुणाकर, शहर मुफ्ती सलीम अहमद कासमी, हिना परवीन, बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड की पूर्व अध्यक्ष रजिया बैग, लताफत हुसैन, प्रधान अब्दुल अजीज, नगर निगम के पार्षद मुकीम अहमद, पार्षद इलियास अंसारी, आसिफ कुरैशी, रफी अहमद, अरशद अली, सलीम खान, इरशाद अली आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।
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