नई दिल्ली। ब्रिक्स सम्मेलन को लेकर दिल्ली में बिजनेस वार्ताओं का दौर शुरू हो गया है। बुधवार को दिल्ली के प्रगति मैदान में ब्रिक्स देशों और भारतीय राज्यों में निवेश की संभावनाओं को लेकर बात हो रही है। बुधवार को ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में निवेश को लेकर अलग-अलग सेमिनार आयोजित हो रहे हैं। साथ ही भारतीय राज्यों में निवेश को लेकर भी बात होगी।
बुधवार से दिल्ली में आयोजित ब्रिक्स ट्रेड फेयर और ब्रिक्स कंट्री सेमिनार की शुरुआत दरअसल 15-16 अक्टूबर, 2016 को गोवा में हो रहे 8वें ब्रिक्स सम्मेलन की प्री-इंनिंग है। इस ब्रिक्स ट्रेड फेयर से यह बात साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी में हो रहे 8वें ब्रिक्स सम्मेलन में सारा जोर ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के बीच आर्थिक एवं व्यापारिक संबंधों को नई ऊंचायों पर ले जाना है।
ब्रिक्स की अवधारणा दरअसल सबसे पहले अंर्तराष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन सलाहकार संस्था गोल्डमैन सैच ने दी थी। 2001 में अपनी एक रिपोर्ट में गोल्डमैन सैच ने बताया था कि आनेवाले 50 साल में ब्राजील, रूस, भारत, चीन जैसी अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव डालेंगी। इतना ही नहीं ये अर्थव्यवस्थाएं आने वाले समय में इतनी मजबूत होंगी कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगी। इसी अवधारणा पर साल 2006 में न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान इन देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में ब्रिक्स बनाने को लेकर काम शुरू हुआ और साल 2009 में ब्रिक्स देशों का पहला सम्मेलन रूस के येकारतेरिनबर्ग में हुआ था।
अब तक 7 ब्रिक्स सम्मेलन हुए हैं, जिनमें भारत ने 2012 के चैथे सम्मेलन की मेजबानी की थी। यह दूसरा मौका है जब भारत ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। 8 वां ब्रिक्स सम्मेलन 15-16 अक्टूबर को गोवा में होगा।