दुल्हन ने दूल्हे के घर पहुंचकर सात फेरे लिए

Bride reached the groom house and got married

Bride reached the groom house and got married

चंपावत। Bride reached the groom house and got married शादी करने के लिए एक दुल्हन बारात लेकर दूल्हे के घर पहुंची। दरअसल, दूल्हे के गांव स्वाला को बीते मंगलवार को कंटेनमेंट घोषित कर दिया था। इस वजह से पहले से तय इस विवाह में अड़चन आ गई।

तमाम विमर्श के बाद प्रशासन ने दुल्हन को कोविड गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित करते हुए चार लोगों के साथ स्वाला गांव में जाने की अनुमति दे दी। बुधवार को दुल्हन ने दूल्हे के घर पहुंचकर सात फेरे लिए।

कोरोना के कहर के चलते चम्पावत के पुनाबे गांव निवासी इस युवती को शादी करने के लिए करीब 32 किमी दूर स्वाला गांव में दूल्हे के घर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

दरअसल, स्वाला गांव के डुंगर देव के बेटे प्रकाश भट्ट की शादी 12 मई को पुनाबे निवासी रमेश बिनवाल की बेटी प्रियंका के साथ होना तय हो चुकी थी। लेकिन स्वाला में एक साथ 47 लोगों के कोविड संक्रमित होने से विवाह से एक दिन पहले यानी मंगलवार को गांव को कंटेनमेंट जोन बना दिया गया।

गांव को कंटेंनमेंट जोन बनाए जाने से दुल्हन और दूल्हा पक्ष के लोग सकते में आ गए। तमाम विमर्श के बाद प्रशासन ने कोविड गाइडलाइन के पालन की शर्त के साथ इस विवाह की अनुमति दी। तय किया गया कि स्वाला से पुनाबे बारात ले जाने के बजाय कन्या पक्ष स्वाला जाएगा।

दुल्हन समेत चार लोगों को स्वाला जाने की अनुमति दी

प्रशासन ने दुल्हन समेत चार लोगों को स्वाला जाने की अनुमति दी। इस पर दुल्हन प्रियंका चार अन्य लोगों के साथ बुधवार को स्वाला गांव पहुंची जहां विवाह की रस्में पूरी की गईं।

विवाह के लिए दुल्हन प्रियंका, मां भावना देवी, पिता रमेश बिनवाल और पुरोहित रघुवर दत्त स्वाला गांव पहुंचे थे। विवाह के बाद दुल्हन की मां, पिता और पुरोहित वापस अपने गांव पुनाबे लौट गए। तीनों लोगों को प्रशासन ने होम आइसोलशन में रहने के निर्देश दिए हैं।

वहीं दुल्हन प्रियंका अपने ससुराल में ही रहेगी। चम्पावत तहसीलदार ज्योति धपवाल ने बताया, स्वाला गांव में 47 लोगों के पॉजिटिव आने पर गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया था। कंटेनमेंट जोन से बाहर जाना प्रतिबंधित होता है।

इसी वजह से वर पक्ष को गांव से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई। इसके स्थान पर कन्या पक्ष को चार लोगों के साथ स्वाला गांव में जाकर विवाह करने की अनुमति दी गई। दुल्हन के मां, पिता और पुरोहित को पुनाबे गांव में लौटकर होम आइसोलेशन में रहने के निर्देश दिए गए हैं।

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