नई दिल्ली। बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ चुनाव आयोग में याचिका दाखिल हुई है। भाजपा ने मायावती पर धर्म और जाति के आधार पर वोट मांगने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और बसपा की मान्यता रद्द करने की मांग की गई है। भाजपा की प्रदेश कार्यकारणी के सदस्य नीरज शंकर सक्सेना ने यह शिकायत दर्ज कराई है। सक्सेना का कहना है कि मायावती ने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले के खिलाफ बयान जारी किया है। पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि धर्म और जाति के आधार पर वोट नहीं मांग सकते। शिकायत के मुताबिक मायावती ने 3 जनवरी 2017 को प्रेस काॅन्फ्रेंस कर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लड़ने वाले प्रत्याशियों की सूची जारी की थी।
उक्त सूची को मायावती ने धर्म और जाति के आधार पर दिया था। एवं मायावती ने बसपा की एक बुकलेट जारी कर कहा था कि मुसलमानों की सच्ची हितैषी बसपा ही है। आने वाले चुनाव में लोग सपा को नहीं, बसपा को वोट दें। इस शिकायत में सक्सेना का कहना है कि ये सारी बातें जनप्रतिनिधि अधिनियम के प्रावधान 125 के तहत अपराध है लिहाजा चुनाव आयोग मायावती के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए और उनकी पार्टी की सदस्यता रद्द करे। गौरतलब है कि मायावती ने हाल ही में पत्रकार वार्ता में कहा था कि उनकी पार्टी ने 87 दलितों, 97 मुसलमानों तथा 106 अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधियों को चुनाव में टिकट दिए हैं। इसके अलावा बाकी 113 सीटों पर अगड़ी जातियों को टिकट दिए गए हैं। इनमें ब्राहमणों को 66, क्षत्रियों को 36 तथा कायस्थ, वैश्य और सिख बिरादरी के 11 लोगों को उम्मीदवार बनाया गया है।