नई दिल्ली । केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने शैक्षणिक सत्रा 2017-18 से 10वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षाओं को पिफर से अनिवार्य कर दिया है। वर्ष 2010 में बोर्ड परीक्षाओं को ऽत्म कर सालभर के आधर पर ग्रेडिंग की सुविध शुरू की थी।
इसके पीछे तर्क था कि ग्रेडिंग सिस्टम छात्रों पर दबाव कम करेगा। सीबीएसई की संचालन समिति ने 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षा को अनिवार्य करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। वर्तमान में सीबीएसई के छात्रों को बोर्ड परीक्षा या स्कूल आधरित परीक्षा में किसी एक को चुनने का विकल्प मिलता है लेकिन अब स्कूल आधरित परीक्षा चुनने का विकल्प अगले सत्रा से छात्रों को नहीं मिलेगा। बोर्ड परीक्षा को 80 प्रतिशत महत्व और शेष 20 प्रतिशत आंतरिक आंकलन को दिया जाएगा। बोर्ड की संचालन समिति की बैठक में विवादास्पद त्रिभाषा सूत्रा पर भी चर्चा हुई। इसमें संविधन की सूची में उल्लेखित हिंदी, अंग्रेजी और आध्ुनिक भारतीय भाषा को 9वीं कक्षा से पढ़ाया जाए। इसके लागू होने पर यकीनन घ्हंगामा होगा क्योंकि गैर हिंदीभाषी राज्य जैसे तमिलनाडु में हिंदी और संस्कृत को हमेशा विरोध् झेलना पड़ता है। हालांकि यह नियम केंद्रीय मानव संसाध्न मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही प्रभावी होगा।