मुलायम सिंह के निधन पर सीएम धामी सहित कई नेताओं ने जताया दुख

CM Dhami expressed grief over the death of Mulayam Singh

CM Dhami expressed grief over the death of Mulayam Singh

देहरादून। CM Dhami expressed grief over the death of Mulayam Singh धरती पुत्र व नेताजी के नाम से लोकप्रिय समाजवादी पार्टी के संस्थापक संरक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है। मुलायम सिंह यादव ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पता में आखिरी सांस ली।

मुलायम के निधन पर तमाम राजनेताओं ने शोक संवेदना प्रकट की है। उत्तराखंड से मुलायम सिंह यादव का विशेष नाता रहा है। उत्तराखंड के राजनेताओं ने भी मुलायम सिंह यादव के निधन पर दुख जताया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर दुख जताया।

धामी के साथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी मुलायम के निधन पर शोक जताया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर दुख जताया।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुलायम सिंह यादव से अपनी मुलाकात और जान पहचान को याद करते हुए उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर कहा कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जी के निधन का समाचार दुःखद है।

ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। गौरतलब है कि सीएम धामी मुलायम सिंह यादव को व्यक्तिगत रूप से भी जानते थे। सीएम धामी जब लखनऊ विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा ले रहे थे, तब उनकी मुलायम सिंह यादव से जान पहचान हुई थी।

उत्तराखंड से हैं मुलायम की दोनों बहुएं

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार 10 अक्टूबर को निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का उत्तराखंड से खास नाता रहा है।

उनकी दोनों बहुएं उत्तराखंड से ही हैं। मुलायम सिंह की बड़ी बहू डिंपल मूलरूप से उत्तराखंड की रहने वाली हैं। डिंपल का जन्म अल्मोड़ा में हुआ है। छोटी बहू अपर्णा यादव उत्तरकाशी की रहने वाली हैं।

उत्तरकाशी के बरसाली गांव निवासी अरविंद सिंह बिष्ट की बेटी अपर्णा से मुलायम सिंह यादव के बेटे प्रतीक यादव का विवाह हुआ है। हालांकि अरविंद सिंह बिष्ट लंबे समय से लखनऊ में रहते हैं। जबकि उनके चार अन्य भाई उत्तरकाशी में ही रहते हैं। मुलायम सिंह यादव के निधन पर उनके सगे-संबंधियों ने शोक व्यक्त किया है।

रानीखेत को पृथक जिला बनाने की मुलायम ने दी थी सहमति

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव रानीखेत को कभी भुला न सके। 1991 में अपने प्रखर समाजवादी साथी अधिवक्ता जसवंत सिंह की पुत्री के विवाह समारोह में पहुंचे मुलायम सिंह को काफी विरोध झेलना पड़ा था। उन्हें भाजपाइयों ने काले झंडे दिखाए। पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा।

मगर राजनीति के धुरंधर मुलायम ने काले झंडे की टीस को भूलकर तीन वर्ष बाद रानीखेत को कई सौगातें दीं। उपमंडल मुख्यालय में पहली बार अपर जिलाधिकारी का पद सृजित कर दिल जीता। तो रानीखेत को पृथक जिले का दर्जा दिलाने पर सहमति भी जता दी थी।

मगर उक्रांद के कौशिक समिति का हवाला दे 18 नए जिलों की मांग उठा दिए जाने से रानीखेत जनपद का मुद्दा समझौते में ही उलझ कर रह गया था।

बात 1991 की है। प्रखर समाजवादी नेता अधिवक्ता जसवंत सिंह बिष्ट ने पृथक पर्वतीय राज्य के गठन के लिए उत्तराखंड क्रांति दल से नाता जोड़ लिया था। मगर मुलायम सिंह यादव से उनकी नजदीकी कम न हुई। 1991 में समाजवादी जसवंत सिंह की पुत्री के विवाह समारोह में शामिल होने के लिए तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव तमाम कैबिनेट मंत्रियों को साथ लेकर रानीखेत पहुंचे।

उनके स्वागत को जहां लोगों का जमावड़ा लगा था। वहीं भाजपाई विरोध में उतर आए थे। वरिष्ठ कांग्रेसी व संस्कृति कर्मी कैलाश पांडे बताते हैं कि तहसील रोड पर मुलायम सिंह के काफिले को काले झंडे दिखा पथराव कर दिया गया।

इस पर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। रानीखेत में तीन चार दिन बाजार भी बंद रहा। उस समय कर्फ्रयू जैसे हालात रहे। अलबत्ता, तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह कड़वा अनुभव लेकर लखनऊ वापस लौट गए थे।

वरिष्ठ कांग्रेसी कैलाश पांडे कहते हैं कि समाजवादी व बाद में उक्रांद नेता रहे अधिवक्ता जसवंत सिंह बिष्ट की अगुआई में रानीखेत पृथक जिले के मसले पर 1994 में सर्वदलीय शिष्टमंडल सीएम मुलायम सिंह यादव से मिलने पहुंचा।

रानीखेत से पहुंचे शिष्टमंडल को मुलायम ने हाथों-हाथ लिया। वह मुस्कराए और रानीखेत को नया जिला बनाने की बात पर बगैर देर किए सहमति दे दी।

कैलाश पांडे बताते हैं कि तब उनके मन में काले झंडे दिखा विरोध को लेकर जरा भी नाराजगी नहीं झलकी, बल्कि जल्द ही रानीखेत दोबारा आने का आश्वासन भी दिया। मगर उक्रांद ने कौशिक समिति का हवाला दे सभी 18 जनपदों का मुद्दा उठा दिया। इससे रानीखेत जनपद की उम्मीदें धूमिल पड़ती गई।

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