Colonel Ajay Kothiyal joined Aam Aadmi Party
देहरादून। Colonel Ajay Kothiyal joined Aam Aadmi Party केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यो में अहम भूमिका निभाने वाले रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल ने सोमवार को आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है। देहरादून में हरिद्वार रोड स्थित एक होटल में मिशन उत्तराखंड नवनिर्माण कार्यक्रम के तहत कर्नल कोठियाल आम आदमी पार्टी में शामिल हुए।
आप के प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया और प्रदेश अध्यक्ष एसएस कलेर के नेतृत्व में आप कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आप पार्टी ने दिल्ली में बेहतर काम किया है। बेरोजगारी और हेल्थ सेक्टर में पार्टी उत्तराखंड में भी मजबूती से काम करेगी। पार्टी का मकसद युवाओं को आगे रखकर प्रदेश में विकास करना है।
कुमाऊं रेजिमेंट अकेली ऐसी रेजिमेंट है जिसे 2 बार परमवीर चक्र मिला है, मैं उस कुमाऊं रेजिमेंट का मोमेंटो @ArvindKejriwal जी को तोहफे में देना चाहता हूँ। – कर्नल अजय कोठियाल#MissionUttarakhand pic.twitter.com/t7ldlW0mod
— Aam Aadmi Party Uttarakhand (@AAPUttarakhand) April 19, 2021
कार्यक्रम को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। सैन्य परिवार बाहुल्य प्रदेश में कर्नल अजय कोठियाल की सैन्य पृष्ठभूमि पार्टी को उत्तराखंड में पैठ जमाने में मदद कर सकती है।
आम आदमी पार्टी अब कर्नल अजय कोठियाल को उत्तराखंड में पार्टी का चेहरा बना सकती है। प्रदेश में तीसरा विकल्प बनने की राह पर चल रही आम आदमी पार्टी ने अजय कोठियाल को पार्टी में शामिल कर बीजेपी और कांग्रेस समेत अन्य क्षेत्रीय दलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं।
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान निम के मुखिया भी रह चुके है
कर्नल अजय कोठियाल प्रदेश में जाना-पहचाना नाम हैं। केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। वो नेहरू पर्वतारोहण संस्थान निम के मुखिया भी रह चुके है। कुछ समय पहले केंद्र सरकार ने उन्हें एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर म्यांमार भेजा था।
कर्नल अजय कोठियाल मूल रूप से टिहरी गढ़वाल के चैंफा गांव के रहने वाले हैं। उनका जन्म 26 फरवरी 1969 को हुआ। 7 दिसंबर 1992 को सेना में गढ़वाल राइफल्स की चैथी बटालियन में बतौर सेकेंड लेफ्टिनेंट सैन्य जीवन की शुरूआत की।
अजय कोठियाल ने सेना में रहते हुए कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए रोजाना मस्जिद में भेष बदल कर जाते थे। उन्होंने सात आतंकवादियों को मुठभेड़ में मार गिराया।
इस वीरता के लिए उन्हें शौर्य चक्र मिला। दो बार एवरेस्ट पर फतह करने के लिए कीर्ति चक्र मिला। उनके उल्लेखनीय सेवा रिकॉर्ड को देखते हुए विशिष्ट सेवा मेडल भी मिला। जबकि, नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग के प्राचार्य भी रह चुके हैं।
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