Congress demonstration against the sending of CBI director on forced leave
देहरादून। Congress demonstration कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पीसीसी अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक आलोक वर्मा को केन्द्र सरकार द्वारा असंवैधानिक एवं गैरकानूनी तरीके से जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के विरोध में सीबीआई कार्यालय देहरादून में प्रदर्शन किया।
विरोध प्रदर्शन में उपस्थिति कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रीतम सिंह ने कहा कि भाजपा शासन में जिस प्रकार सीबीआई, ईडी, सीवीसी, यूपीएससी जैसे संवैधानिक संस्थाओं का अपने हित में दुरूपयोग किया जा रहा है ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।
इस प्रकरण से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय न्याय व्यवस्था प्रणाली की बदनामी हो रही है। सभी संवैधानिक संस्थाओं का भाजपा के शासन में लगातार पतन हो रहा है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आधी रात को ढाई बजे जिस प्रकार से केन्द्रीय अन्वेषण व्यूरो के निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजा गया उससे स्पष्ट हो गया है कि केन्द्र की भाजपा सरकार किस हद तक तानाशाही एवं निरंकुश रवैया अपनाये हुए है।
केन्द्र सरकार के इस फैसले से केन्द्रीय अन्वेषण व्यूरो (सीबीआई) जैसी देश की प्रमुख जांच ऐजेेंसी की साख दाव पर लगी हुई है। प्रीतम सिंह ने कहा कि देश की जनता इन स्वायत्त संस्थाओं पर भरोसा करती है तथा यह मानकर चलती है कि किसी भी संकट या खतरे की स्थिति में यही संस्थायें उसके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेंगी, परन्तु ताजा प्रकरण ने देश की जनता के इस भरोसे पर चोट पहुंचाई हैं।
केन्द्र सरकार सीबीआई का दुरूपयोग अपने हिसाब से करना चाहती है
उन्होंने कहा कि इस प्रकरण से स्पष्ट हो गया है कि केन्द्र सरकार केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का दुरूपयोग अपने हिसाब से करना चाहती है। केन्द्र सरकार का यह निर्णय सी0बी0आई0 जैसी संस्थाओं की स्वायत्तता समाप्त करने की एक साजिश है।
संवैधानिक संस्थाओं में केन्द्र सरकार के इस तानाशाही एवं गैर-कानूनी दखलंदाजी से इन संस्थाओं में कार्यरत अधिकारियों के मनोबल पर भी प्रतिकूल प्रभाव पडेगा। प्रीतम सिंह ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के निदेशक श्री आलोक वर्मा राफेल घोटाले की जांच कर रहे थे और संभवतः उनके हाथ सबूत भी लगे थे|
उन्हें केन्द्र के इशारे पर सीवीसी द्वारा छुट्टी पर भेजा गया जो कि संवैधानिक संस्थाओं के कार्य में गैर कानूनी एवं असंवैधानिक हस्तक्षेप है। जबकि निदेशक पर कार्यवाही का अधिकार सिर्फ नियुक्ति प्राधिकारी, (भारत के मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष) को ही है।
कार्रवाही पक्षपात पूर्ण एवं देश की जनता को भ्रमित करने वाली
साथ ही राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा पर एक जैसी कार्रवाही पक्षपात पूर्ण एवं देश की जनता को भ्रमित करने वाली है। साथ ही सीबीआई शाखा प्रमुख अखिल कौशिक के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया जिसमें कांग्रेस पार्टी ने मांग की कि केन्द्र सरकार द्वारा आनन-फानन में लिए गए इस फैसले को तुरंत वापस लिया जाए, सीबीआई निदेशक श्री वर्मा को पुर्न स्थापित किया जाए तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की गरिमा को ठेस पहुचाने के लिए प्रधानमंत्री देश की जनता से माफी मांगे।
विरोध प्रदर्शन में प्रदेश अनुशासन समिति के अध्यक्ष प्रमोद कुमार, प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना, पूर्व विधायक राजकुमार, गोदावरी थापली, प्रभु लाल बहुगुणा, महानगर अध्यक्ष लाल चंद शर्मा, समन्वयक राजेन्द्र शाह, अशोक वर्मा, जगदीश धीमान,राजेन्द्र भण्डारी, ताहिर अली, प्रदेश प्रवक्ता डा0आर0पी0 रतूडी, प्रवक्ता गरिमा दसौनी, कमलेश रमन,परणीता बडोनी, शान्ति रावत, मंजू तोमर, आशा टम्टा,राजेश चमोली, अमरजीत सिंह, दीप बोरा, सुरेन्द्र रांगड,महेश जोशी, आनंद पुण्डीर, त्रिलोक सजवाण, गिरीश पुनेड़ा , नवीन पयाल, दीवान तोमर, सुधीर कुमार सुनहेरा, राजेश शर्मा,सुनीत राठौर,भरत शर्मा,अश्विनी बहुगुणा,शोभा राम, मोहन काला, सुलेमान अली, देवेन्द्र सिंह,मनमोहन शर्मा, अल्का शर्मा, आदर्श सूद, अनुज दत्त शर्मा,अनुराग मित्तल आदि कांग्रेसजन उपस्थित थे।
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