पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के विरोध में कांग्रेसियों ने किया प्रदर्शन

Congress demonstration against rising prices
कांग्रेस कार्यकर्ता पेट्रोल पंप के बाहर प्रदर्शन करते हुए।

Congress demonstration against rising prices

देहरादून। Congress demonstration against rising prices पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस की बढ़ती कीमत के विरोध में रविवार को कांग्रेस ने प्रदेशभर में प्रदर्शन किया। देहरादून में कांग्रेसियों ने प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के नेतृत्व में राजपुर रोड स्थित एक पेट्रोल पंप के बाहर प्रदर्शन किया।

दोपहर करीब 12 बजे कांग्रेसी पेट्रोल पंप पर पहुंचे और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान गणेश गोदियाल ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि वर्ष 2014 से अब तक मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमत में बढ़ोतरी कर देश की जनता की गाढ़ी कमाई के 85 लाख करोड़ से अधिक रुपये लूटने का काम किया है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में 75 प्रतिशत की कमी होने के बावजूद पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम में बेतहाशा वृद्धि की जा रही है। कोरोनाकाल के पिछले 18 महीनों में पेट्रोल-डीजल के दाम में भारी इजाफा होने से महंगाई लगातार बढ़ी है। इससे जनता की कमर टूट चुकी है।

प्रदर्शन करने वालों में पूर्व मंत्री दिनेश अग्रवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन पृथ्वीपाल चौहान, प्रदेश महामंत्री संगठन मथुरादत्त जोशी, पूर्व विधायक राजकुमार, महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा, नवीन जोशी, डा. आरपी रतूड़ी, बलवीर सिंह रावत, मेजर हरि सिंह, वीरेंद्र पोखरियाल, शांति रावत, राजेश चमोली आदि मौजूद रहे।

पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस की चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने भी पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस की बढ़ती कीमत के विरोध में मोदी सरकार पर हमला बोला। रावत ने कहा कि कांग्रेस के शासन में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का मूल्य 150 डालर प्रति बैरल होनेे के बावजूद देश में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत काफी कम थी।

वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का मूल्य 70 डालर प्रति बैरल से भी कम है, बावजूद इसके देश में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमत में की गई भारी वृद्धि से गरीब और मध्यम वर्ग को चोट पहुंची है। कांग्रेस के शासन में रसोई गैस सिलिंडर 414 रुपये को था, जो वर्तमान में एक हजार के करीब पहुंच गया है। यह केंद्र की नाकामी है।

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