इस सीट पर चुनाव प्रचार में भाजपा से पिछड़ रही कांग्रेस

Congress lagging behind BJP election campaign
Congress lagging behind BJP election campaign

देहरादून। Congress lagging behind BJP election campaign पार्टी की अंदरूनी कलह और कमजोर सांगठिकनिक व्यवस्था के चलते टिहरी लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस चुनाव प्रचार में भाजपा से काफी पिछड़ती नजर आ रही है। जबकि भाजपा के समर्थक व बैनर झंडे दून के शहरी क्षेत्र में नजर आ रहे है और कांग्रेस की कोई भी चुनावी गतिविधी दून के शहरी क्षेत्र में अब तक नजर नही आई।

हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए बीते विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस के कई दिग्गज भाजपा में शामिल हो गए थे। जिससे कांग्रेस को गहरा झटका लगा। उसके बाद से कांग्रेस के भीतर मास लीडर की कमी खलने लगी। इतना ही नही उसके बाद कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर भी खींच तान शुरू हो गयी।

विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद पूर्व काबीना मंत्री व विधायक प्रीतम सिंह की ताजपोशी उत्तराखण्ड कांग्रेस अध्यक्ष पद पर कर दी गयी। जिसके बाद कांग्रेस सीधे तौर पर दो धड़ों में बंटती नजर आई। प्रीतम सिंह के साथ नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश खड़ी हो गयी और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ खड़े हो गये। इन दोनों गुटों पर वर्चस्व की जंग शुरू हो गयी।

कई मसलों पर घेरने में विफल रही

जिसके चलते चुनाव पूर्व कांग्रेस उत्तराखण्ड भाजपा की सरकार को भी कई मसलों पर घेरने में विफल रही। इसका असर कांग्रेस में चुनावी तैयारियों पर भी पड़ा। जबकि पिछले छह महीनों मेें भाजपा संगठन ने विधानसभा वार्डो की बात से आगे निकलकर बूथ स्तर तक अपनी मजबूत पकड़ बना ली।

अब ऐन लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस में टिकटों का बंटवारा तो कर दिया गया। किन्तु पार्टी आलाकमान दो धड़ो में बंटी कांग्रेस के भीतर जारी वर्चस्व की जंग को रोकने में कामयाब नहीं हो पाया है। खुद पार्टी सूत्रों का कहना है कि अंदरूनी कलह के चलते पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं में हताशा और निराशा का माहौल है। क्योंकि अपसी कलह के चलते कांग्रेस के लिए चुनावी माहौल को पक्ष में करना काफी चुनौती पूर्ण हो गया है।

बताया जा रहा है कि गुटबाजी के चलते प्रीतम सिंह अकेले पकते जा रहे है। पार्टी कार्यकर्ताओं में भी उत्साह का संचार नही हो पा रहा है। जबकि भाजपा टिहरी सीट पर एकजुटता के साथ चुनाव प्रचार में जुटी है। इसका खामियाजा चुनाव में न कहीं कांग्रेस को भुगतना पड़े इसकी आशंका बनी हुई है।

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