भोर में तीन बजे जागने वाले योगी रात के 11 बजे चले जाते हैं बिस्तर पर, जानिए दैनिक रूटीन के बारे में

Yogi aadityanath

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन चुके योगी आदित्यनाथ का अब रूटीन क्या होगा यह भविष्य की गर्भ में है। लेकिन अब तक के रूटीन के हिसाब से 3 बजे सुबह सवेरे में जागने वाले आदित्यनाथ रात्रि 11 बजे तक बिस्तर में जाना पसंद करते रहे हैं। मंदिर में योगी के सहायकों की लंबी फेहरिस्त है।

उन्हीं में से एक द्वारिका तिवारी भी हैं। आईये जानते हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अब तक की दिनचर्या- हठ योग के लिए प्रसिद्ध नाथपंथ की सबसे बड़ी पीठ गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर महंथ योगी आदित्यनाथ भोर में लगभग तीन बजे जग जाते हैं। चार से पांच बजे तक योग कर खुद को ऊर्जावान बनाये रखने का प्रयास करते हैं। 5 बजे सभी मंदिरों में पूजा करने के बाद मंदिर और परिसर की सफाई व्यवस्था का मुआयना करने नहीं भूलते। इस दौरान वे गाय को गुड़ और बिस्कुट खिलाते हैं। तालाब की मछलियों, बत्तख और मंदिर परिसर में मौजूद पशु-पक्षियों को अपने हाथों से दाना खिलाते हैं। सुबह 8 बजे इनके नाश्ते का समय है।

Yogi Adityanath

नाश्ते में दलिया, मौसमी, फल व चना लेते हैं। इनमे भी इन्हें खासकर पपीता एवं सेब लेना ज्यादा पसंद है। सुख फल और मीठा मट्टा (छाछ) लेना वे कभी भूलते। सुबह 8.30 से 9 बजे के बीच वे गोरखनाथ मंदिर और उसकी संस्थाओं से सम्बंधित कामकाज निपटाते हैं। इस दौरान वे पेपर भी पढ़ते हैं। सुबह 9 से 11 बजे तक वे फरियादियों की समस्याएं सुनते और उनका निराकरण करने का प्रयास करते हैं। 11 से 2 बजे तक वे अपने काफिले के साथ सुनिश्चित कार्यक्रमों में शिरकत करने के लिए निकल जाते हैं। फिर दो बजे मंदिर वापस आने के बाद वे सामान्य भोजन लेते हैं, जिसमे चावल, दाल, रोटी, सब्जी आदि है। यदि वापस मंदिर नहीं आ सके तो रास्ते में ड्राई फ्रुट ही खा लेते हैं। इसका प्रबंध उनकी गाड़ी में ही रहता है।

यह है शाम का रूटीन -शाम 4 बजे तक हर हालत में मंदिर आ जाते हैं। नीचे बैठक में ही रहकर लोगों से बातचीत करते हैं एवं उनकी समस्याएं सुनते हैं। सायं 5 बजे से 7 बजे तक गायों को चारा खिलाते हैं। इसके बाद मंदिर परिसर का भ्रमण करके संबंधित प्रशासनिक कार्य निपटाते हैं। रात 9 बजे भोजन करते हैं। दाल, चावल, रोटी सब्जी या खिचड़ी खाना पसंद है। रात 10 से 11 यह समय सुरक्षित रखते हैं। अपने कमरे में रहते हैं। करीब 11 बजे तक सो जाते हैं लेकिन इसके पहले वे मंदिर परिसर में इसलिए घूमते हैं कि कहीं कोई दर्शनार्थी या सहयोगी बिना भोजन किये तो नहीं रह गया।