Damyanti rawat
देहरादून। Damyanti rawat दमयंती रावत मूल रूप से शिक्षा विभाग में खंड शिक्षा अधिकारी हैं। साल 2012 में जब उत्तराखंड में कांग्रेस सत्ता में आई तो हरक सिंह रावत कृषि मंत्री बनाए गए। तब दमयंती रावत खंड शिक्षा अधिकारी सहसपुर, ग्रेड वेतन 6600 के पद पर तैनात थी।
कृषि विभाग में दमयंती रावत के लिए बकायदा विशेष कार्याधिकारी का निसंवर्गीय पद ग्रेड वेतन 8700 सृजित किया गया और इस पर प्रतिनियुक्ति के जरिए दमयंती रावत की ताजपेाशी की गई। हालांकि, तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने एनओसी देने से मना कर दिया था। लेकिन दमयंती रावत बे रोकटोक प्रतिनियुक्ति पर आ गई।
यही नहीं कुछ समय बाद उनका ओहदा बढ़ाकर उन्हें कृषि विभाग में उत्तराखंड बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण अभिकरण के निदेशक पद पर तैनात कर दिया गया। लेकिन, 2016 में सत्ता के समीकरण गड़बड़ाए और मंत्री हरक सिंह रावत को अपनी विधायकी से हाथ धोना पड़ा तो इसका असर दमयंती रावत ( Damyanti rawat ) पर भी पड़ा।
जुलाई 2017 को शिक्षा विभाग में Damyanti rawat की ज्वाइनिंग
नतीजा 2016 में बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण अभिकरण के डायरेक्टर पद से छुट्टी कर उन्हें मूल विभाग को वापस कर दिया गया। लेकिन, दमयंती रावत ने एक साल दो महीने तक वापस अपना मूल विभाग भी ज्वाइन नहीं किया।
कृषि विभाग से विदाई के बाद दमयंती रावत ने दस जुलाई 2017 को शिक्षा विभाग में ज्वाइनिंग दी। सवाल उठा कि एक साल दो महीने वे कहां गायब रही। इसके लिए शिक्षा विभाग ने उनको आरोप पत्र थमा दिया।
दमयंती रावत ने आरोपों के जवाब में चिकित्सा प्रमाण पत्रों के साथ ही जो स्पष्टीकरण दिया, उस पर आज भी फैसला नहीं हो पाया है। लेकिन, 31 अक्टूबर 2017 को उन्हें खंड शिक्षा अधिकारी, विण, पिथौरागढ़ के पद पर नियुक्ति दे दी गई।
मार्च 2017 में भाजपा की सरकार बन चुकी थी
इसे दमयंती रावत का रुतबा ही कहा जाएगा कि तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखती आ रही दमयंती रावत ने पिथौरागढ़ में ज्वाइनिंग नहीं ली। इसके पीछे एक कारण ये भी है कि मार्च 2017 में भाजपा की सरकार बन चुकी थी और हरक सिंह रावत को वन एवं श्रम मंत्री बनाया गया था।
हरक सिंह रावत अब दमयंती को अपने विभाग में लाना चाहते थे। इसके लिए श्रम विभाग के अधीन कर्मकार कल्याण बोर्ड सबसे उपयुक्त पाया गया। दमयंती रावत के लिए अपर कार्याधिकारी का पद भी खोज लिया गया।
मंत्री हरक सिंह रावत पहले श्रम विभाग के सचिव के बजाए खुद बोर्ड के अध्यक्ष बने और फिर 15 दिसंबर 2017 को बोर्ड ने शिक्षा विभाग को पत्र भेजकर दमयंती रावत को प्रतिनियुक्ति के लिए कार्यमुक्त करने का पत्र भेजा। लेकिन अबकी बार शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय दमयंती रावत को एनओसी न देने पर अड़ गए।
Damyanti rawat को आज तक एनओसी नहीं मिली
इसकी परवाह न दमयंती रावत ने की और न हरक सिंह ने। बिना एनओसी के ही दिसंबर 2017 में दमयंती रावत ( Damyanti rawat ) को अपर कार्याधिकारी कर्मकार कल्याण बोर्ड में यह कहकर तैनाती दे दी गई कि वह अपने विभाग से शीघ्र एनओसी उपलब्ध करा देंगी। लेकिन, दमयंती रावत को आज तक एनओसी नहीं मिली।
यहां भी पूर्ववर्ती सरकार की तरह कहानी देाहराई गई। विशेष कार्याधिकारी से जुलाई 2018 में उन्हें सचिव पद पर तैनाती दी गई। आदेश में लिखा गया कि नियमित तैनाती होने तक कामचलाऊ व्यवस्था के तहत अग्रिम आदेशों तक उन्हें बोर्ड का सचिव बनाया जाता है।
तब से दमयंती रावत बेरोकटोक बोर्ड के सचिव की कुर्सी पर विराजमान हैं। इसी सचिव पद पर रहते हुए उन पर श्रमिकों के नाम पर मशीन, साइकिल आदि खरीदने में करोड़ों रूपए घोटाले के आरोप लग रहे हैं।
क्या हुआ दमयंती रावत की एनओसी का नियम कहता है कि सरकारी सेवक को जो प्रतिनियुक्ति पर जा चुका हो, उसे दूसरी बार प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए कम से कम दो साल अपने मूल विभाग में सेवा देना अनिवार्य है।
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