वो तो दिवाने थे जो तन्हा छोड़ गये
वो ना रूक सके तो आंखो में अपना साया छोड़ गये
हमे गम है इस बात का
कि वह दिल से किया वादा, हाथो से तोड़ गये।
सिलसिला तोड़ दिया उसने तो ये सदायें कैसी…?
अब कुछ मिलना ही नहीं, फिर ये वफायें कैसी…?
मैंने तो चाहा था सब सिकवे गिले दूर करना,
उसने जेहमत ही न की सूनने की तो ये अंहे कैसी…?
ले लो वापस ये आंसू, ये तड़प और ये यादे सारी,
नहीं कोई जुर्म मेरा तो फिर ये सजायें कैसी…?
चाहते थे जिन्हे उनका दिल बदल गया
समन्दर तो वहीं था पर साहिल बदल गया
कत्ल ऐसा हुआ किस्तों में मेरा
कभी बदले खंजर तो कभी कातिल बदल गया।
वो बेवफा है सही आओं उस का जिक्र करें
अभी तो उम्र पड़ी है उस को भुलाने के लिए
शायरी : चेहरे पे मेरे जुल्फ को फैलाओ किसी दिन
शायरी : बेकरारी सी बेकरारी है