Destruction due to breaking of glacier
आईटीबीपी को 10 शव मिले, 150 लोगों के मारे जाने की आशंका
देहरादून। Destruction due to breaking of glacier उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही हुई है। इसके चलते अलकनंदा और धौली गंगा उफान पर हैं। ऋषिगंगा नदी पर पावर प्रोजेक्ट के डैम का एक हिस्सा टूट गया है।
ग्लेशियर के टूटने से भारी तबाही की आशंका जताई जा रही है, जिसे देखते हुए प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट पर है। ग्लेशियर टूटने की वजह से अलकनंदा नदी का जल प्रवाह काफी बढ़ गया है। पानी के तेज बहाव में कई घरों के बहने की आशंका है।
आस-पास के इलाके खाली कराए जा रहे हैं। लोगों से सुरक्षित इलाकों में पहुंचने की अपील की जा रही है। इस आपदा में कम से कम 150 लोगों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है। पीएम मोदी भी पल-पल की स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत घटनास्थल पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया। प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों के लिए सीएम ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिया है। रेस्क्यू की टीम वहां बचाव कार्य कर फंसे हुए लोगों को बचाने का काम कर रही हैं।
#Chamoli @ITBP_official personnel carry rescued persons on stretchers to the nearest road head near Tapovan after rescuing them from a tunnel@PIB_India @airnewsalerts @uttarakhandcops @ndmaindia @NDRFHQ pic.twitter.com/sVQUGD6teH
— PIB in Uttarakhand (@PIBDehradun) February 7, 2021
ऋषिकेश से 13-14 किलोमीटर की दूरी पर तपोवन डैम है, जहां पर पानी इकट्ठा हुआ है। तपोवन डैम के सुरंग में काम चल रहा था जिसमें 20-25 लोग फंसे हुए हैं। रेस्क्यू टीम वहां बचाव कार्य कर फंसे हुए लोगों को बचाने का काम शुरू किया।
ग्लेशियर टूटने पर वाडिया इंस्टीट्यूट के तीन ग्लेशियर वैज्ञानिकों की टीम सोमवार सुबह तपोवन, जोशीमठ के लिए रवाना होगी। जो ग्लेशियर टूटा है, वहां पर वाडिया की रिसर्च साइट भी है। ऐसा माना जा रहा है कि निर्माणस्थल पर करीब 100 वर्कर थे। जिनमें से 9-10 के शव नदी से मिले हैं। तलाशी अभियान जारी है।
सेना के मुख्यालय से लगातार हालात पर नजर रखी जा रही
ग्लेशियर के टूटने के बाद विभिन्न एजेंसियों ने मोर्चा संभाल लिया है। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ की टीमें लोगों की मदद करने के लिए भेजी जा रही हैं। भारतीय सेना ने छह कॉलम (तकरीबन 600 जवान) को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में भेजा है।
वायुसेना के अधिकारियों ने बताया कि दो डप-17 समेत तीन चॉपर और एक चॉप देहरादून में है, ताकि बाढ़ प्रभावित इलाकों में मदद पहुंचाई जा सके। जरूरत लगने पर और अधिक चॉपर की सेवा ली जाएगी। इसके अलावा, सेना ने एनडीआरएफ और उत्तराखंड सरकार की मदद के लिए अपने चॉपर व अन्य जवानों को भी तैनात कर दिया है।
सेना ने बताया कि ऋषिकेश के निकट सैन्य स्टेशन सक्रिय रूप से स्थानीय प्रशासन के साथ बचाव और राहत कार्यों में भी शामिल हो गया है। सेना के मुख्यालय से लगातार हालात पर नजर रखी जा रही है। आईटीबीपी के जवानों ने तपोवन और रेनी के इलाकों का भी दौरा किया, जहां पर पानी का स्तर काफी तेजी से बढ़ा था।
जवानों ने वहां हुए नुकसान का आकलन भी किया। एनडीआरएफ की तीन टीमें घटनास्थल पर पहुंच गई हैं, जबकि अन्य टीमें दिल्ली से भी हवाई मार्ग के जरिए से भेजी जा रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से बात की और कहा कि एनडीआरएफ की कुछ टीम दिल्ली से हवाई मार्ग से उत्तराखंड भेजी जा रही हैं।
वायुसेना को बचाव कार्य में लगाने की पूरी तैयार कर ली है। हादसे के लिए जितनी मदद की जरूरत है, वह मदद केंद्र सरकार उत्तराखंड सरकार को देगी। वहीं, असम दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रावत से फोन पर बात कर हालात का जायजा लिया है।
मोदी ने ट्वीट किया कि उत्तराखंड की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पर निरंतर नजर रखे हुए हैं। पूरा देश उत्तराखंड के साथ है और राष्ट्र सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रहा है।
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