आखिर क्या होता है विकास सबकी अलग-अलग धारणाएं

Development
आखिर क्या होता है Development
हिना आज़मी

आज विकास ( Development ) ऐसा शब्द है जिसकी चर्चा हर कोई करता है और जिसके प्रति सबकी अलग-अलग धारणाएं हैं। प्राय: सभी लोगों को इसके बारे आकर्षण के प्रति आंदोलन करते देखा जा सकता है। आर्थिक वृद्धि , सुविधायुक्त घर, गाड़ी, आभूषण व विलासिता की अन्य वस्तुओं का संग्रह विकास के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। जबकि विकास का व्यवहारिक पक्ष अत्यंत सादगी पर वह जीवन मूल्य की मूलभूत आवश्यकताओं के उपभोग तक सीमित होना चाहिए।

योग और साधना की दृष्टि में इसका यह अलग अर्थ है। विकास की सत्यता को सद्गुणों, सद्विचारों पर चलने वाला ही समझ पाता है। प्रतिदिन मानवीय जीवन में एक नवीन व कल्याणकारी विचार को स्थान दिया जाए, तो विकास है। शिक्षा के गुणसूत्र विद्यार्थी जीवन में भली-भांति प्रतिष्ठित होते हैं तो समाज को श्रेष्ठ विचारक मिलेंगे। विचारको का दृष्टिकोण विकास के प्रति सदैव संतुलित रहता है।

Development किसका होना चाहिए?

वह विकास को बढ़ाने वाले ज्ञान-विज्ञान के पक्षधर होते हैं। जहां ज्ञान विज्ञान का विस्तार अभिशापित होना शुरू हुआ, वहां विकास के वास्तविक विचारकों का अभाव होता है । विकास किसका होना चाहिए? वस्तुओं का उपभोग करने की व्यवस्थाओं का या फिर वस्तु निर्माताओं का? अपने अस्तित्व के प्रादुर्भाव से ही मनुष्य अपने विकास आकांक्षा के प्रति अति जिज्ञासु रहा है।




समझना यही है कि सबसे उपयुक्त व्यक्ति विकास को किस रूप में स्वीकार करता है ? क्या वह अपने विचारों और स्थूल सामग्रियों का अंबार लगाना चाहता है या युगचक्र की गति के साथ-साथ अपने विचारों को भी बढ़ावा देना चाहता है?  वास्तव में सामग्रियों की अधिकांश उपलब्धता और उनके अनुचित प्रयोग की मानवीय प्रवृत्ति को विकास धारणा के अंतर्गत समान नहीं किया जा सकता है।

जरा इसे भी पढ़ें :