Dhan Singh Rawat on backfoot
देहरादून। Dhan Singh Rawat on backfoot उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने न जाने किस झोंक में आकर यह बात तो कह दी कि विश्व विद्यालयों व डिग्री कालेजों में छात्रों के मोबाइल फोन रखने पर रोक लगाई जायेगी लेकिन अब छात्रों के भारी विरोध और नेताओं तथा राजनीतिक दलों की घेराबंदी के कारण वह बैकफुट पर आ गये है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने अभी दो दिन पूर्व एक कार्यक्रम में यह घोषणा की थी कि वह शीघ्र ही उच्च शिक्षण संस्थानों औैर विश्व विद्यालयों में मोबाइल फोन पर रोक लगाने जा रहे है। उच्च शिक्षा मंत्री की यह घोषणा न आम आदमी के गले उतरी और न छात्रों के।
तमाम छात्रों ने धन सिंह रावत के इस कदम का विरोध करते हुए कहा है कि एक तरफ सरकार द्वारा छात्रों को विश्व विद्यालयों और डिग्री कालेजोें में फ्री वाई फाई की सुविधा प्रदान की जा रही है|
वहीं दूसरी ओर मोबाइल फोन पर रोक लगाने की बात कही जा रही है। अगर ऐसा है तो फिर वाई फाई का क्या औचित्य है? इन छात्रों का कहना है कि आज छात्रों की शिक्षा में मोबाइल तमाम उन समस्याओं के समाधान का सशक्त माध्यम है जो कहीं से भी हल नहीं हो पाती।
वह मोबाइल से उन समस्याओं का समाधान भी ढूंढ लेते है। उनका कहना है कि उच्च शिक्षा मंत्री शिक्षकों की कमी जैसी तमाम समस्याओं का हल ढूंढने की जगह अब छात्रों पर प्रतिबंधों से समस्याओं का हल ढूंढने में लगे है जो कि गलत है।
अभी यह अंतिम फैसला नहीं : Dhan singh rawat
उधर विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं ने इसे उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का मानसिक दिवालिया पन करार देते हुए कहा है कि भाजपा के मंत्रियों के पास कोई सार्थक काम करने का वक्त तो है नहीं इसलिए वह अब ऐसे ही तुगलकी निर्णय लेेने में लगे हुए है।
प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि भाजपा के मंत्रियों को कुछ पता ही नहीं है कि करना क्या है? उधर हरीश रावत ने इस पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा है कि धन्य है हमारे मंत्री धन सिंह, जहां पीएम मोदी ई लर्निगं की बात कर रहे है वहीं वह जैमर लर्निगं का पाठ पढ़ा रहे है।
इस मुद्दे पर बढ़ते विरोध के बीच अब धन सिंह रावत का कहना है कि अभी यह अंतिम फैसला नहीं है। पहले वह इस मुद्दे पर छात्रों का मत संग्रह करायेंगे तब अंतिम निर्णय लिया जायेगा।
अच्छा होता कि इस तरह की घोषणा करने से पहले मंत्री महोदय छात्रों का मत संग्रह करा लेते। कम से कम वह विवादस्पद व हास्यापद स्थिति से बच गये होते।
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