आधुनिक जीवनशैली और तरह तरह के फास्ट फूड लेने के कारण मधुमेह (डायबिटीज) रोगियों की संख्या बहुत तेजी से बड़ रही है। वैसे तो यह आम बिमारी है लेकिन यह बहुत खतरनाक बीमारी है। एक गणना के मुताबिक 2020 तक भारत डायबिटीज पीड़ित देशों में प्रथम स्थान पर होगा। आज हमारे देश में हर पांच व्यक्ति में से एक को डायबिटीज है। आइये इसके बारे में समझने व जानने की कोशिश करते हैं।
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति के खून में ग्लूकोज जिसे हम ब्लड सुगर लेवल भी बोलते है की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो जाती है। इसके दो कारण हो सकते है।
1. या तो आपका शरीर आवश्यक मात्रा में इन्सुलिन नहीं बन पा रहा है।
2. या फिर आपके कोशिकाओं मेंब हो रहे इंसुलिन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रहा है।
इंसुलिन एक हारमोन है जो आपके शरीर में कारबोहाइड्रेड और फैट के चयापचय को नियंत्रित करता है। चयापचय का अर्थ है उस प्रक्रिया से जिसमे शरीर भोजन को पचाता है ताकि शरीर को उर्जा मिल सके और उसका विकास हो सके। हम जो कुछ भी खाते हैं वो पेट में जाकर एनर्जी में बदलता है जिसे ग्लूकोस कहते हैं। अब काम होता है इस एनर्जी/ग्लूकोस को हमारे बॉडी में मौजूद लाखों सेल्स के अन्दर पहुचाना, और ये काम तभी संभव है जब हमारे अग्न्याशय पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन बना रहे हैं। बिना इंसुलिन के ग्लूकोस कोशिकाओं में नहीं जा सकता। फिर हमारे कोशिका ग्लूकोज को जला कर शरीर को उर्जा पहुंचाते हैं। यही वजह है कि जब यह प्रक्रिया सामान्य रूप से नहीं हो पाती तो व्यक्ति डायबिटीज रोग से ग्रस्त हो जाता है।
खाने के पहले सामान्य व्यक्ति में ब्लड ग्लूकोस का लेवल 70 से 100 एमजी/डीएल रहता है। खाने के बाद यह लेवल 120-140 एमजी/डीएल हो जाता है और फिर धीरे-धीरे कम होता चला जाता है। लेकिन डायबिटीज होने पर यह लेवल सामन्य नहीं हो पाता और एक्सट्रीम केसेस में 500 एमजी/डीएल से भी ऊपर चला जाता है।
डायबिटीज दो प्रकार के हाते हैं।
टाईप 1. डायबिटीजः यह तब होता है जब आपकी बॉडी इन्सुलिन बनाना बंद कर देती है। ऐसे में रोगी को बाहर से इंसुलिन देना पड़ता है। इसे इन्सुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटसया आईडीडीएम भी कहते हैं।
टाईप 2 डायबिटीजः- इसमें जब आपके कोशिका हो रही इंसुलिन पर प्रतिक्रिया नहीं करते। इसे नॉन इन्सुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेल्लितुस या एनआईडीडीएम भी कहते हैं।
डायबिटीज से सम्बंधित कुछ जरूरी जानकारियां
डायबिटीज से ग्रसीत व्यक्ति सामन्य व स्वस्थ्य व्यक्ति की अपेक्षा 5 से 10 साल पहले मर जाते हैं। डायबिटीज सबसे कॉमन फॉर्म ऑफ डायबिटीज है। डायबिटीज किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। भारत में 5 में से 1 व्यक्ति डायबिटीज से ग्रसित है।
अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो इसके वजह से हार्ट अटैक, ब्लाइंडनेस, स्ट्रोक (आघात) या फिर किडनी भी फैल हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि जिस व्यक्ति को डायबिटीज है उसे स्वस्थ भोजन लेना चाहिए व शारीरिक गतिविधि को बढ़ा देना चाहिए। टाइप 2 डायबिटीज (मधुमेह) को 80 प्रतिशत तक रोका जा सकता है। साथ ही यह एक अनुवांशिक बिमारी भी है यानि आपके परिवार में पहले किसी को ये बिमारी रही हो तो आपको भी हो सकता है।
डायबिटीज हो जाने पर नियमित रूप से ब्लड सुगर की जांच करानी चाहिए। खाने में परहेज करना चाहिए, दवाओं को नियमित रूप से ले। व्यायाम करते रहे। पर्याप्त मात्रा में नींद ले एवं सुबह या शाम को टहलना चाहिए।
डायबिटीज के लक्षणः- अधिक प्यास या भूख लगना, वजन का अचानक से घट जाना, कमजोरी व थकावट महसूस होना, किसी घाव को भरने में ज्यादा वक्त लगना, बार-बार पेशाब आना, चीजों का धुंधला दिखाई देना एवं त्वचा में संक्रमण होना या खुजली होना।
डायबिटीज में चीनी, मिठाई, ग्लूकोज, गुड़, धूम्रपान, आइसक्रम, केक, पेस्ट्र, बिस्कुट, चाॅकलेट, गाढ़ा दूध, तला हुआ खाना, घी, मक्खन, एवं हाइड्रोजन युक्त वनस्पति तेज, जंक फूड, व संरक्षित खाद्य पदाथ आदि से परहेज करे।