Discussion with candidates regarding infighting and factionalism
देहरादून। Discussion with candidates regarding infighting and factionalism जो होना था हो चुका है अब न पछताने से कुछ हो सकता है और न आरोप-प्रत्यारोपों से कुछ बदलने वाला है। कांग्रेस नेता अब जो चुनावी हार के कारण तलाशने के लिए चिंतन बैठक कर रहे हैं वह सांप निकल जाने के बाद लकीर को पीटने जैसा ही है। इस चिंतन मंथन से क्या अमृत निकल सकेगा जो मृतप्राय कांग्रेस को नवजीवन दे पाएगा यह एक अहम सवाल है।
कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षक अविनाश पांडे और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव दून पहुंच चुके हैं तथा राजीव गांधी भवन में वह बारी-बारी से कांग्रेस प्रत्याशियों से हार के कारणों पर विस्तार से चर्चा कर रहे हैं। आज शुरू हुई इस बैठक में उनके द्वारा सभी प्रत्याशियों से क्षेत्रवार चर्चा की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि इस हार के बाद कोई संगठन की गुटबाजी पर सवाल उठा रहा था तो कोई टिकट बंटवारे में धांधली और टिकट बेचने की बात कर रहा था तो कोई भितरघात को हार का कारण बता रहा था।
पार्टी की हार क्यों हुई?
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अब अविनाश पांडे को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा है जो इन आरोपों की सत्यता की जांच इन सभी प्रत्याशियों से मिलकर कर रहे हैं। जिससे यह पता लगाया जा सके कि जब जनता बदलाव चाहती थी और राज्य में मुख्यमंत्री बदले जाने तथा निवर्तमान सरकार द्वारा संतोषजनक काम न किए जाने के कारण हवा कांग्रेस के पक्ष में दिखाई दे रही थी तो फिर पार्टी की हार क्यों हुई?
आरोप-प्रत्यारोप लगाने वालों को अब पर्यवेक्षक के सामने अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार ज्यादातर प्रत्याशी इस हार के पीछे शीर्ष नेतृत्व के गलत फैसलों उनकी मनमानी और पार्टी के अंतर कलह को जिम्मेदार मानते हैं। यही नहीं कुछ प्रत्याशियों ने संगठन पर असहयोग तथा प्रचार व्यवस्था की कमजोरी को भी हार का कारण माना है।
प्रत्याशियों द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों को सुनने के बाद कल पर्यवेक्षक और प्रभारी की एक बैठक पूर्व सीएम हरीश रावत, प्रीतम सिंह और गणेश गोदियाल के साथ भी होनी है जिसके आधार पर वह सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।
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