कई रोगों में महाऔषधि का कार्य करती है यह घास एक बार जरूर पढ़े

Doob ghas
कई रोगों में महाऔषधि का कार्य करती है Doob ghas एक बार जरूर पढ़े
हिना आज़मी

दोस्तों दूब कहने को सिर्फ घास है, लेकिन इसकी वैल्यू वही समझ सकता है जो इसके बारे में जनता हो। अगर आप आज से पहले नही जानते थे तो आज हम आपको इसकी जानकारी दे देते है। Doob ghas का वैज्ञानिक नाम सागनोडान डेक्टीलान है। इसे महाऔषधि कहा गया है। प्राचीन काल से ही इसका उपयोग पूजा-पाठ धार्मिक मान्यताओं में होता चला आ रहा है।

कन्या पूजन में इस घास को शामिल किया जाता है। इसे  दूबी  नाम से भी पहचाना जाता है। इसमें फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, फाइबर, प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। पर्याप्त मात्रा में इन सभी तत्व का समावेश इसमें होने से इसका बहुत प्रयोग किया जाता है जैसे- दुधारू पशुओं को दूब खिलाने से ये पशु दूध ज्यादा देते हैं। दूब घास के फायदे इस प्रकार हैं-

उल्टी और पाचन में सहायक



यह एक डियोक्सिफाइर के रूप में काम करती है। यह शरीर की अम्लता को दूर करती है तथा हानिकारक पदार्थों को नष्ट करती है और किसी व्यक्ति को उल्टी हो रही हो तो दूब घास के सेवन से उसे आराम मिलता है।

दिल को रखे स्वस्थ

इसका रोज सेवन करने से यह हमारे खून में कोलेस्ट्रॉल को कम करने के साथ-साथ दिल की एक्टिविटीज में भी सुधार करती है।

मधुमेह में रामबाण

कई शोधों में इसके ग्लाइसेमिक क्षमता को सही पाया गया है। दूब घास का अर्क मधुमेह यानी शुगर के रोगी पर हाइपोग्लाइसीमिक प्रभाव छोड़ता है।

स्ट्रेस फ्री और फ्रैश  होने में सहायक





दूब घास का उपयोग थकान और नींद ना आने की बीमारी में प्रयोग की जाती है। इसका रोज सेवन करने से यह तंत्रिका तंत्र यानी न्यूरॉन को मजबूत बनाती है, शरीर में सक्रियता प्रदान करती है।

एनीमिया में लाभदायक

व्यक्ति किसी भी प्रकार का रक्त के बहने जैसे पीरियड्स के दौरान, चोट या नाक से निकलने से खून की कमी हो जाती है  हीमोग्लोबिन का स्तर घट जाता है। ऐसे में दूब हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाते हैं और रेड ब्लड सेल्स को भी बढ़ाती है जिससे एनीमिया की समस्या नहीं होती।

महिलओं से जुडी समस्याओं में सहायक





पेशाब में इन्फेक्शन की समस्या पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में अधिक होती है औरतों के लिए सफेद पानी व बवासीर में स्त्राव की हालत में उन्हें दूब घास के साथ दही दी जाए तो उनको यह बहुत फायदा करेगी देखा गया है इससे स्तनपान में भी अधिकता और प्रोलैक्टिन हार्मोन का उत्पादन बढ़ता है।

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