हरिद्वार से ऋषिकेश के बीच इलेक्ट्रिक ट्रेन चलना मुश्किल

Electric Train between Haridwar Rishikesh
Electric Train between Haridwar Rishikesh

देहरादून। Electric Train between Haridwar Rishikesh हरिद्वार से ऋषिकेश के बीच इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने का रेलवे का सपना टूट सकता है। इस ट्रेन की राह में राजाजी पार्क रोड़ा बन गया हैं। हरिद्वार से ऋषिकेश के बीच में दस में से दो किलोमीटर का ट्रैक राजाजी पार्क के भीतर से गुजरता है। पार्क से इलेक्ट्रिक ट्रेन दौड़ाने के लिए रेलवे को न सिर्फ पार्क प्रशासन बल्कि देहरादून से लेकर दिल्ली तक वाइल्ड लाइफ बोर्ड की अनुमति भी लेनी होगी, जो मुश्किल लग रही है।

हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच आज भी डीजल इंजन वाली ट्रेन चलती है। रेलवे इस पैच में भी इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाना चाहता है। लेकिन दिक्कत यह है कि रेलवे ट्रेक का शुरुआती दो किलोमीटर हिस्सा राजाजी पार्क के भीतर से होकर जाता है। यहां विद्युतिकरण के लिए रेलवे को करीब 28 पेड़ों की लॉपिंग करनी होगी।

इसके अलावा संरक्षित क्षेत्र के भीतर से बिजली की तारें खींचने की अनुमति भी रेलवे को चाहिए होगी। इसके लिए पहले स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड और फिर नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड से प्रस्ताव पास कराना होगा। लेकिन रेलवे का ट्रैक रिकॉर्ड जंगल से इलेक्ट्रिक ट्रेन निकालने के मामले में ठीक नहीं है।

7 शर्तों के साथ इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने की अनुमति मिली थी

राजाजी टाइगर रिजर्व में कांसरो से हरिद्वार के बीच 18 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक को 2016 में जब विद्युतिकृत किया गया तो वन्य जीवों की सुरक्षा के मद्देनजर रेलवे को 7 शर्तों के साथ इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने की अनुमति मिली थी। इन शर्तों में ट्रेनों की स्पीड धीमे रखना भी एक शर्त थी।

उत्तराखंड के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन मोनिष मलिक कहते हैं कि रेलवे ने कभी भी नियमों का पालन नहीं किया। रेलवे को पार्क क्षेत्र में 35 से 40 किमी प्रति घंटा की स्पीड से ट्रेने चलाने के निर्देश हैं। लेकिन यहां पचास किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ती हैं। इसकी वजह से इस ट्रैक पर अभी तक 27 हाथी ट्रेन की चपेट में आकर दम तोड़ चुके हैं।

मलिक कहते हैं कि रेलवे के ट्रैक रिकॉर्ड में को देखते हुए यह मुश्किल है कि वाइल्ड लाइफ बोर्ड रेलवे को एक और ट्रैक को विद्युतिकृत करने की अनुमति दे। वन्य जीव संरक्षण के लिए बने पार्कों में जानवरों की जान से खिलवाड़ की अनुमति देना पार्कों की अवधारणा से ही खिलवाड़ होगा।

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