Encroachment Remove Campaign
प्रशासन कर रही है अतिरिक्त अधिकारियो की तैनाती
देहरादून। प्रदेश की राजधानी देहरादून में अतिक्रमण विरोधी अभियान ( Encroachment Remove Campaign ) को तेज करने के लिए एडीएम स्तर के पांच और अधिकारियों की तैनाती की गई है। सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने के बाद सरकार के लिए हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन समय सीमा में कराना बड़ी चुनौती है और इसीलिए पांच और अधिकारी तैनात किए गए हैं।
एमडीडीए उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में बनी टास्क फोर्स में इन अधिकारियों को शामिल किया गया है। अतिक्रमण ध्वस्त करने की जो कार्रवाई चल रही है उसमें ये अधिकारी मौजूद रहेंगे। सचिव दून घाटी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण सुंदर लाल सेमवाल, जीएम गढ़वाल मंडल विकास निगम बंशी लाल राणा, डोईवाला चीनी मिल के अधिशासी निदेशक मनमोहन सिंह रावत, राजस्व परिषद की उपायुक्त, विप्रा त्रिवेदी और सिडकुल की जीएम झरना कमठान को यह अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है।
गौरतलब है कि मंगलवार को हाईकोर्ट के आदेश के बाद चलाए जा रहे अतिक्रमण अभियान पर उत्तराखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की अतिक्रमण हाटने की समय सीमा बढ़वाने वाली याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट का कहना है कि अतिक्रमण के आदेश नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा दिए गए हैं, |
वहीं अपील करें। बता दें कि अतिक्रमण के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश की समयसीमा बढ़वाने के लिए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देशों पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसमें प्रदेश में भारी बारिश के चलते हो रही समस्याओं से अवगत कराया गया था।
अधिकारी और कर्मचारी आपदा प्रभावित कार्यों में व्यस्त हैं
याचिका में कहा गया था कि इन दिनों अधिकारी और कर्मचारी आपदा प्रभावित कार्यों में व्यस्त हैं। वहीं, बारिश के चलते अतिक्रमण हटाओ अभियान में आम जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में हाईकोर्ट द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए दी गई चार सप्ताह की समयसीमा बढ़ाई जानी चाहिए।
हाईकोर्ट ने दून निवासी मनमोहन लखेड़ा के वर्ष 2013 में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजा था। जिसे जनहित याचिका के रूप में लेते हुए हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायाधीश लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।
खंडपीठ ने मुख्य सचिव को चार सप्ताह में देहरादून की सड़कों से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। साथ ही उन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा, जिनके कार्यकाल के दौरान अतिक्रमण हुआ है। कोर्ट ने आदेश में कहा था कि यदि तय समय में अतिक्रमण नहीं हटता है तो इसके लिए मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।
नदी के किनारे से अतिक्रमण हटाकर नदी को पुनर्जीवित करने को कहा था
साथ ही तीन महीने में रिस्पना नदी के किनारे से अतिक्रमण हटाकर नदी को पुनर्जीवित करने को कहा था। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के लिए पूरी ताकत झोंकने और जरूरत पड़ने पर धारा 144 लगाने को कहा।
इसके अलावा सरकार, एमडीडीए और नगर निगम को निर्देश दिए कि वो तीन सप्ताह के भीतर ऐसे मॉल, शोरूमों को सील करें, जिनके बेसमेंट पार्किंग के स्वीकृत हैं, लेकिन जगह का व्यावसायिक उपयोग हो रहा है। वहीं, आवासीय भवनों में व्यावसायिक प्रतिष्ठान मिलने पर उन्हें भी सील करने के आदेश दिए थे।
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