Fear of treachery in Congress
देहरादून। Fear of treachery in Congress टिहरी लोकसभा सीट पर कांग्रेस में भीतर घात होने की आशंका बरकार है। हांलाकि ऊपरी तौर पर पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष वर्तमान अध्यक्ष और कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह के साथ खड़े नजर आ रहे है किन्तु किशोर उपाध्याय का हरीश रावत गुट का होना अनेकों शंकाए पैदा कर रहा है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह है कि इन दोनों गुटों में एक दुसरे को नीचा दिखाने का खेल लगातार जारी है। जिसका रंग येन केन प्राकेण चुनाव में भी दिख सकता है। टिहरी लोकसभा सीट पर इस बार दो राजनीतिक घरानों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। बीजेपी से राजपरिवार की बहू माला राज्यलक्ष्मी शाह को अपनी पारम्परिक सीट बचाने की चुनौती है|
वहीं कांग्रेस से जौनसार बावर के निर्विवाद नेता गुलाब सिंह के पुत्र वर्तमान पीसीसी चीफ प्रीतम सिंह मैदान में हैं। बता दें कि टिहरी लोकसभा सीट पर राजपरिवार का ही दबदबा रहा है। वर्ष 1952 से टिहरी लोकसभा सीट पर 18 बार आम चुनाव और उपचुनाव हुए हैं। इसमें से 11 बार राजपरिवार पर ही जनता ने अपना विश्वास जताया है। हर बार यह बात गौण हो गई कि राजपरिवार के सदस्य बीजेपी से या फिर कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं।
इस सीट का अपना महत्व
हर अवसर पर जीत उनकी ही होती रही। टिहरी लोकसभा क्षेत्र टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून की 14 विधानसभाओं से मिलकर बना है। ऐसे में धार्मिक और ऐतिहासिकता को लेकर भी इस सीट का अपना महत्व है। इस बार होने वाले चुनाव में दो दिग्गज राजनीतिक परिवारों के बीच मुकाबला होने जा रहा है। इस वजह से इस सीट का महत्व और बढ़ गया है।
भले ही चुनाव के दौरान उपर से सबकुछ ठीक ठाक दिख रहा हो किन्तु कांग्रेस के भीतर वर्चस्व को लेकर दो गुटों के भी अंर्तकलह जारी है। हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष गुट अब भी आमने सामने है। और टिहरी में अपना खास वर्चस्व रखने वाले दिग्गज किशोर उपाध्याय टिहरी में कांग्रेस की हारजीत में अपना अहम रोल निभा सकते है। किन्तु इस मामले में पार्टी सूत्रों का कहना है कि जब इन दो गुटों में जंग टिकटों के मामले में भी चली तो यह भी हो सकता है कि चुनाव में अंर्तकलह के चलते भीतर घात हो।