चार-पांच दिनों से धूं-धूं कर जल रहे हैं जंगल Forest fire

Forest fire
चार-पांच दिनों से धूं-धूं कर जल रहे हैं जंगल forest fire

चमोली। उत्तराखंड में वनों को आग (Forest fire) से बचाने के लिए वन विभाग भले ही कमर कसने की बात कह रहा हो, मगर विभाग की सारे बातें महज कागजों तक ही सीमित दिखाई दे रही हैं। चमोली के कई जंगल ऐसे हैं जो पिछले चार-पांच दिनों से जल रहे हैं, मगर विभाग को कानो-कान खबर तक नहीं है या फिर विभाग आंख बंद कर चुपचाप बैठा हुआ है।

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जंगल जल रहे है और विभाग आग बुझाने के लिए मीटिंग तक ही सीमित है। जिस तरह से चमोली में लगातार जंगल जल रहे हैं। उससे लगता कि जिला प्रसाशन या विभाग इसको लेकर गंभीर नहीं है जबकि फायर सीजन के नाम पर प्रस्तावित बजट के अनुमोदन के दिन विभाग और प्रशासन की तैयारी कागजों पर कुछ और ही थी। चमोली जिले के नंदप्रयाग रेंज का सोनला कंडारा सिलंगी से लगे वन क्षेत्र में आग से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।

वन्य जीव प्राणियों के जीवन पर भी संकट बना

मगर वन विभाग अभी तक सिर्फ स्थानीय लोगों की सहभागिता तक ही सीमित है। यहीं स्थिति नागनाथ रेंज के सैमी और बमोथ के मध्य लगे जंगलों में फैली आग का भी है। जबकि पूर्व में अधिकारी किस तरह आग से वनों को बचाने की बात कर रहे थे ये बात सभी को मालूम है। जिस तरह से जंगल जल रहे हैं उससे न सिर्फ वन संपदा का नुकसान हो रहा है, बल्कि पर्यावरण के साथ ही वन्य जीव प्राणियों के जीवन पर भी संकट बना है। इसको लेकर पूर्व में हाईकोर्ट ने भी जिम्मेदारी तय कर चुका है।

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