Forest fire in uttarakhand
देहरादून। Forest fire in uttarakhand जंगलों की आग पर काबू पाने में वन विभाग विफल साबित हो रहा है। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार आग में अभी तक 28 लाख मूल्य की वन संपदा जलकर खाक हो चुकी है।
वैसे, देखें तो उत्तराखंड पर इस बार मौसम काफी मेहरबान रहा। यहां अप्रैल महीने तक बारिश होती रही और मई में भी जब तब लोगों को गर्मी से राहत मिलती रही। बावजूद इसके जंगलों की आग ने 1590 हेक्टेयर क्षेत्रफल को अपनी जद में ले लिया।
महीने भर के भीतर जंगलों में 1257 जगहों पर आग लगने की घटनाएं घटित हो गई। इनमें एक अनुमान के अनुसार 28 लाख रुपए मूल्य की वन संपदा जलकर राख हो गई। आग लगने की सर्वाधिक घटनाएं अभी तक नैनीताल जिले में घटित हुई हैं। यहां 270 बार जंगलों में आग लग चुकी है।
उसके बाद ’ अल्मोड़ा में आग की 250 घटनाओं में सर्वाधिक पांच सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल का जंगल आग की भेंट चढ़ गया। आग लगने की इन घटनाओं के दौरान 6 मवेशी मारे गए. वहीं आग बुझाते हुए 8 वनकर्मी बुरी तरह झुलस गए।
आंकड़ों के अनुसार 2000 पौधे जल गए
इसके अलावा ’ 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्लांटेशन भी नष्ट हो गया। विभागीय आंकड़ों के अनुसार 2000 पौधे जल गए। वन क्षेत्रों में लगातार लग रही आग की घटनाओं के संदर्भ में फायर विभाग के नोडल अफसर केपी सिंह ने कहा कि वनों में आग लगने की सूचनाएं स्टाफ को मिलते रहती है।
कर्मी आग बुझाने में लगे रहते हैं। आग बुझाने में अग्निशमन विभाग का भी सहयोग मिल रहा है। जंगल की आग बुझाने के लिए एसडीआरएफ से भी मदद लेने का प्रयास किया जा रहा है।
चिंताजनक बात यह है कि इस दौरान कॉर्बेट और राजाजी पार्क जैसे वन्य जीवों के लिए संरक्षित और संवेदनशील क्षेत्रों में भी वन विभाग आग पर काबू पाने में सफल नहीं हो पाया। इन क्षेत्रों में आग लगने की 56 घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
करोड़ों रुपए का बजट, भारी भरकम फौज और लंबी चैड़ी बैठकों के बावजूद वन संपदा साल दर साल स्वाह होती जा रही है। इससे वन विभाग की प्लानिंग और इम्पलीमेंटेशन पर सवाल खड़े किए जाने लगे हैं।