Forest fire started taking a formidable form
देहरादून। Forest fire started taking a formidable form उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में जंगलों में आग फैलती जा रही है और वन विभाग पहले की तरह ही मजबूर दिख रहा है। आग से परेशान लोगों की भीड़ अस्पतालों में बढ़ रही है, तो अव्यवस्था का आलम यह है कि वन विभाग से पेमेंट न मिलने की वजह से वन पंचायतें भी हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं।
उत्तराखंड में जंगलों की आग इस सीज़न में फिर बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है। एक तरफ जंगलों की आग आबादी तक पहुंचने की घटनाएं सामने आ रही हैं, तो वहीं जंगलों के पास के इलाकों में धुआं फैल जाने से लोगों का दम फूलने लगा है।
पहाड़ के कई ज़िलों में जंगल की आग को लेकर वन विभाग हमेशा की तरह लाचार दिख रहा है। सतेराखाल के पास 24 घंटे तक जंगलों में भीषण आग लगी रही। यह आग सोमवार देर रात आबादी क्षेत्रों तक पहुंचने लगी, जिसके बाद ग्रामीणों ने भी मोर्चा संभाला।
कुछ घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। रुद्रप्रयाग में बेतहाशा जंगल जल रहे हैं और ग्रामीण पूरी मशक्कत से आग बुझाने में लगे हुए हैं। उत्तरकाशी में जंगलों में लगी आग थमने का नाम नहीं ले रही है। ज़िला मुख्यालय के आसपास धुआं छाया हुआ है।
आग बुझाने के पर्याप्त संसाधन भी नहीं हैं
सबसे अधिक आग की घटना टौंस वन प्रभाग से आ रही है। टौंस वन प्रभाग में रिखनाल, करड़ा, शिकारू, नौरी के जंगलों में पिछले एक सप्ताह से आग लगी हुई है। गंगा यमुनाघाटी घाटी में धुआं ही धुआं फैला हुआ है। वन विभाग के पास आग बुझाने के पर्याप्त संसाधन भी नहीं हैं।
मिली रही रिपोर्ट के अनुसार अब भी पेड़ों की टहनियां तोड़कर आग बुझाना ही मजबूरी बनी हुई है। वन पंचायतों को चार्ज समय पर न मिलने के कारण वो अभी सक्रिय नहीं हैं। वन विभाग को फायर वाचर तैनात करने और ग्रामीणों के साथ बैठक करने की याद तब आई, जब जंगलों में आग विकराल होने लगी।
वन विभाग और ग्रामीणों के बीच आपसी समन्वय भी नहीं है। उत्तरकाशी के धरासू, बाड़ाहाट रेंज में भी आग की चार घटनाएं हो चुकी हैं जबकि डुंडा वन प्रभाग के धनारी क्षेत्र, मुखेम रेंज के जंगल में आग की कई घटनाएं हो चुकी हैं।
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