Forest Gujjars craving basic facilities
देहरादून। Forest Gujjars craving basic facilities देश की आजादी के 70 दशकों बाद भी प्रदेश में कई ऐसे गांव हैं, जो आज भी विकास की राह ताक रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल वन गुर्जरों का भी है, जो सरकार की उदासीनता का दंश झेलने को मजबूर हैं।
ऐसा ही हाल सरकार की नजरअंदाजी का शिकार हुए कुल्हाल ग्राम पंचायत की धौलातप्पड़ बस्ती का है। जहां लोग शौचालय, पक्के आवास और चिकित्सा सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहे हैं।
धोलातप्पड बस्ती में रहने वाले लगभग 60 परिवार मूलभूत सुविधाओं की आस लगाए बैठे हैं। वहां एक उबड़ खाबड़ मार्ग है, इस वजह से यहां के लोगों की रोजमर्रा के काम भी प्रभावित होते हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस रास्ते पर सफर तय करने के दौरान कई बार यहां के लोग हादसे का शिकार भी हो चुके हैं। 40 सालों से भी अधिक समय से यहां पर रहने वालों को अभी तक उनका हक नहीं मिल पाया है।
वन विभाग द्वारा दी गई भूमि पर उनका कोई मालिकाना हक नहीं मिल पाया है। लोगों का कहना है कि यहां पर छोटे बड़े नेता भी सिर्फ चुनाव के दौरान केवल वोट के लिए आश्वासन देने आते है।
वोट मिलने के बाद कोई सुध नहीं लेता है। बिजली, पानी, सड़क सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं से वंचित लोग मेहनत मजदूरी और पशुपालन के जरिए अपनी आजीविका चलाने को मजबूर हैं।
ग्राम प्रधान मोहम्मद सलीम का कहना है कि वो भी लंबे समय से वन गुर्जरों की इस समस्या को लेकर प्रयास करते आ रहे हैं। लेकिन, धोलातप्पड़ बस्ती के लोगों के लिए कोई विकास का काम नहीं हो पाया है।
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