पिथौरागढ़, । राज्य में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में फिलहाल सब पर भारी पड़ते दिख रहे पूर्व मंत्री प्रकाश पंत 2012 के चुनाव में असफल नेताओं में शामिल थे। राज्य की अन्तरिम विधानसभा के अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री और विधानसभा में बेस्ट विधायक के तौर पर उत्तराखंड की राजनीति में अपनी अलग ही छवि रखने वाले प्रकाश पंत 2012 के विधानसभा चुनाव में बतौर पेयजल मंत्री कांग्रेस के मयूख महर से बुरी तरह चुनाव हार गए थे।
लेकिन 2017 के चुनाव में पिथौरागढ़ विधानसभा सीट पर प्रकाश पंत ने केवल अपनी-अपनी साख बचाने में सफल रहे बल्कि कांग्रेस के मयूख महर की जमीन भी खिसका दी है। वह भी तब जब जिला पंचायत, नगरपालिका, विकासखंड में कांग्रेस का कब्जा है। ऊपर से मयूख महर के नाम कई विकास कार्याे की फेहरिस्त है। बताते चले कि पिथौरागढ़ में बीते चुनाव में पराजय के बाद हाशिए पर जा चुके भाजपा के प्रकाश पंत के सामने इस बार का चुनाव करो या मरो की तरह था। इस बार चुनाव में असफल रहने पर उनके राजनीतिक सफर पर विराम लगने के संभावना थी। बीते साढ़े चार साल तक तराई और भावर में राजनीतिक जमीन तलाशने के बाद अंत में उन्होंने फिर पिथौरागढ़ को चुना। मात्र चार माह के प्रयास के बाद वह चुनाव में अपनी नैया पार करने में सफल रहे।
जिससे उनकी साख बच गई और उन्हें राजनीतिक सफर का यात्री बनने का मौका मिल गया। 2012 में प्रकाश पंत पर धमाकेदार जीत दर्ज कर पिथौरागढ़ में अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत बनाने के बाद भी मयूख महर की जमीन खिसक गई। इस जमीन को खिसकने के लिए मयूख कम अन्य अवयव ज्यादा बड़े कारण रहे। पिथौरागढ़ की जिपं में कांग्रेस का कब्जा है। जिपं अध्यक्ष पद पर मयूख महर के नजदीकी प्रकाश जोशी आसीन हैं। पिथौरागढ़ नगर पालिका परिषद में भी कांग्रेस का कब्जा है। पिथौरागढ़ नगर में हुए विकास कार्याे के चलते कांग्रेस का जनाधार बढ़ा तो नजर आता था, परंतु मतदान में यह सब नजर नहीं आया। नगर के कुछ ही बूथों पर कांग्रेस मामूली बढ़त ले सकी इसी तरह नगर से सटे गौरंगचैड़ क्षेत्र में भी कांग्रेस की जमीन खिसक गई।