नई दिल्ली । सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा है कि सरकार रचनात्मकता के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में है और इसे प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध भी हैं। इस पर यदि कोई प्रतिबंध लगाया जाता है कि तो वह संविधान सम्मत होगा।
राजधानी में बुधवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) बिग पिक्घ्चर सम्घ्मेलन को संबोधित करते हुए श्री राठौर ने कहा, “सिनेमेटोग्राफ अधिनियम,1952 में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए मुद्गल समिति और श्याम बेनेगल समिति बनाई गई है। मंत्रालय के पास दोनों समितियों की रिपोर्ट आ गई है। मुद्गल समिति की सिफारिशों पर अन्य मंत्रालयों ने भी अपनी सहमति जताई है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में श्याम बेनेगल समिति की रिपोर्ट पर विचार-विमर्श हो रहा है। इस अधिनियम से संबंधित दूसरे मंत्रालयों के विशेषज्ञों की भी टिप्पणियां आ रही है”।
उन्होंने कहा कि सरकार रचनात्मकता के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में है और हम मानते हैं कि इसे प्रोत्साहन देने की जरूरत है क्योंकि हमारे लिए सॉफ्ट पावर है। यद्यपि इस पर कोई प्रतिबंध लगाया जाता है कि तो वह संविधान के अनुसार ही होगा जो कि पूरी तरह से वैध है क्योंकि जो आप कैमरे के पीछे नहीं बोल सकते वह आप कैमरे के सामने नहीं बोल सकते। फिल्मकारों को भी इस बात का अहसास होता है।
उन्होंने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि जल्द ही एक ऐसा वातावरण बनेगा जहां रचनात्मक और समकालीन कला को बढ़ावा मिल सके। सरकार फिल्म, टेलीविजन मीडिया को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री राठौर ने कहा कि सिनेमेटोग्राफ अधिनियम कानून काफी पुराना है । आज के समय को देखते हुए कई अहम बदलाव लाए जाने की जरूरत है। सरकार चाहती है कि कला, मीडिया को स्वतंत्रता दी जाए और संविधान के नियमों के अनुसार ही उचित प्रतिबंध लगाए जाए। उन्होंने कहा कि जल्द ही ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि फिल्मों की प्रमाणीकरण प्रक्रिया को आसान बनाया जाएगा, नए चैनलों के आवेदन प्रकिया और सुरक्षा मंजूरी को पूरी तरह से ऑनलाइन किया जाएगा, लाइसेंस प्रकिया को आसान बनाया जाएगा ताकि प्रसारणकर्ता मंत्रालय से संपर्क कर सके।ऑनलाइन मीडिया सीमा लांघने पर चिंता व्यक्त करते हुए सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ चर्चा कर समाधान निकाला जाएगा।