सफाई के नाम पर बंद गंगनहर फिर चालू

Ganga canal, closed in the name of cleanliness, reopens again
गंग नहर।

हरिद्वार। Ganga canal, closed in the name of cleanliness, reopens again मरम्मतीकरण और सफाई के नाम पर तीन करोड़ रुपये से केवल खानापूर्ति कर फिर से गंगनहर को चालू कर दिया गया है।

उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की ओर से सालाना बंदी के तहत ऊपरी गंगनहर को बंद किया जाता है। जिसमें गंगनहर के गेट, किनारों की साफ-सफाई की जाती है। इस बार बार भी 24 अक्तूबर को दशहरा की रात बंद कर दिया गया था।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से हरकी पैड़ी से लेकर रुड़की आसफनगर झाल तक मरम्मतीकरण आदि कार्य के लिए तीन करोड़ रुपये का बजट भी जारी किया गया था। फिर अधिकारियों ने दावा किया कि मिले बजट से गंगा और गंगनहर की पूरी तरह से साफ-सफाई की जाएगी।

सिंचाई विभाग ने जेसीबी मशीन और अन्य संसाधन सफाई के लिए लगाए थे, लेकिन बंदी के आखिरी दिन गंगनहर की हालत देखकर सफाई का अंदाजा लगाया जा सकता है। गंगनहर और घाटों पर अब भी सिल्ट है। घाटों पर जगह-जगह पुराने कपड़े और कूड़ा फंसा हुआ है। यह गंदगी गंगनहर की जख्म है और रविवार की रात गंगनहर के शुरू होते ही इसमें बह गई।

वैसे तो धर्मनगरी में गंगा स्वच्छता को लेकर अनेक सामाजिक संगठन बने हुए हैं। लेकिन, गंगनहर बंदी के दौरान अधिकतर सामाजिक संस्थाएं गंगा की साफ-सफाई के लिए आगे नहीं आईं। हरकी पैड़ी से लेकर गंगनहर में कहीं भी पानी नहीं था, बावजूद इसके अधिकांश सामाजिक संस्थाओं ने गंगा की निर्मलता के लिए सफाई अभियान चलाने से दूरी बनाए रखी।

ऊपरी गंगनहर बंदी के दौरान साफ-सफाई के लिए कम समय मिलता है। बात रही गंगा की पूरी तरह से साफ-सफाई के लिए जन सहभागिता की जरूरत थी, जो इस बार नहीं दिखी। बावजूद इसके फिर भी जरूरी कार्य निपटा लिए गए हैं। साफ-सफाई के लिए खुद विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी एक दिन का श्रमदान किया था।

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