ग्लूकोमा (काला मोतिया) रोग में चेकअप कराना जरूरी Glaucoma patient needs to be checked up

needs to be checked up

Glaucoma patient विश्व भर में चिंता का कारण बन रहा

भगवान द्वारा  हमें आंखें दी गई जिसके द्वारा हम संसार की सभी चीजों को देख सकते हैं। बिना आंख के जीवन बेकार है।  जिंदगी बेरंग हो जाती है जो देख नहीं पाते। इसलिए आंखों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। आंखों में कई तरह की बीमारी होती है। उनमें से एक है – ग्लूकोमा। पिछले कुछ सालों में ग्लूकोमा (Glaucoma ) यानी काला मोतिया के बढ़ते रोगी विश्व भर में चिंता का कारण बन रहे हैं। ग्लूकोमा के अनेक रोगी अक्सर  दृष्टि चले जाने तक इस रोग से बेखबर होते हैं। उन्हें आखिर में पता चलता जब समस्या काफी बढ़ जाती है ।

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Kala motia रोग का स्वरूप 

काला मोतियाबिंद में आंख के पर्दे की मुख्य नस धीरे – धीरे क्षतिग्रस्त हो जाती हैं । इसलिए हमारी दृष्टि कम होते-  होते पूरी तरह चली जाती है नस के क्षतिग्रस्त भाग का उपचार संभव नहीं है। केवल जो हिस्सा स्वस्थ है उसे ग्लूकोमा नियंत्रण की मेडिकल विधियों द्वारा बचाया जा सकता है।

Glaucoma रोग के लक्षण

लक्षणों के अभाव में ग्लूकोमा की रोकथाम सबसे महत्वपूर्ण है इस रोग को समय रहते पहचानना और उपचार द्वारा उसे नियंत्रण में रखना जरूरी है ।

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सबंधित जांचे

आंख में द्रव का दबाव
दृष्टि परिधि नापना : यह एक उपयोगी और साधारण जांच है । ग्लूकोमा की पहचान व नियंत्रण के लिए यह एक उपयोगी जांच है । लेकिन यह जांच मुख्य नस की 30% तक छुट्टी होने के बाद ही ग्लूकोमा का पता लगा सकती हैं।

रेटिनल नरम फाइबर लेयर एनालिसिस

ग्लूकोमा के रोग (Glaucoma Diseases) में आंख के मुख्य नस में किसी तरह की क्षति होने से पहले इस जांच के जरिए पता लगाया जा सकता है। इस मॉडर्न युग में जांच के जरिए ही हम सीधे आंख की नस व पर्दे की विस्तृत जानकारी पा सकते हैं और ग्लूकोमा होने से 1 से 6 वर्ष पहले ही इस रोग के होने का पता लगा सकते हैं। जो लोग पहले से ही ग्लूकोमा से पीड़ित होते हैं । उनके लिए भी यह जांच अति आवश्यक है ।

आर एन एफ एल जांच एक अत्यंत सहज आरामदायक होता है वह जल्दी हो जाने वाली जांच है। जो लोग ग्लूकोमा से पीड़ित हैं उन्हें प्रतिवर्ष इस जांच को कराना चाहिए।

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