जब से बाजार में दूध के नाम पर जहर बिकना शुरू हुआ है और घटिया दूध ने लोगों को परेशान कर रखा है तब से वह विकल्प के रूप में एक ऐसे दूध की खोज में हैं जो खाने में अधिक उपयोगी हो और उन्हें डेरी और देश की विभिन्न कंपनियों पर निर्भर न रहना पड़े तो हमारी नजर बकरियों पर जाने लगी है। वैसे भी आधुनिक जमाने में भी बकरी के दूध सबसे अच्छा दूध करार दे रखा है।
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बकरी का दूध पीना अच्छा भी है और स्वास्थ्य चरम में फलदाया भी। शहरों में तो बकरी का दूध मिलना मुश्किल हो चुका है और युवा पीढ़ी शायद ही इस बात को जानती होगी कि बकरी का दूध पिया भी जा सकता है लेकिन अगर वह बकरी का दूध पीना शुरू कर दें तो उनका स्वास्थ्य अच्छा हो जायेगा। .हैरान करने वाली बात यह है कि गाय और भैंस के दूध की तुलना में बकरी का दूध बलषाठ, वजन, विशिष्ट पानी और फेट, प्रोटीन आदि कारण से दूसरो से अच्छा है। बकरी का दूध बच्चे के विकास के लिए अधिक पौष्टिक है क्योंकि एलर्जी खत्म होता है और पेट और अंतड़ियाँ बार-बार खराब नहीं होतीं विशेषकर ऐसे रोगी इससे लाभ उठा सकते हैं जिनके विकास रुक गया है।
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अनुसंधान के अनुसार बकरी का दूध रोग के कीटाणुओं से खाली होता है बल्कि ऐसे बैक्टीरिया का मुकाबला करता है और क्षतिग्रस्त ऊतकों को फिर विकास देने में महत्वपूर्ण योगदान लेता है। जिन बच्चों के गले खराब होते हैं उन्हें विशेष रूप से बकरी का दूध पिलाने चाहिए। इस से बलगम पैदा नहीं होता। रिसर्च के अनुसार जिन लोगों को लैक्टवज प्रॉब्लम हो और उनकी आंतें गाय और भैंस के दूध हजम नहीं कर सकतीं उन्हें बकरी का दूध पीना चाहिए, विशेषज्ञों ने बकरी के दूध, गाय के दूध में बेहतर करार दिया है।
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खास रूप में मानसिक काम करने वालों के लिए बकरी के दूध से बेहतर कोई और आहार नहीं। बकरी के दूध की विशेषता यह भी है कि पीने वाले के शरीर की त्वचा बहुत कोमल और मुलायम हो जाती है। कैलेस्ट्रोल नहीं बढ़ता और शरीर एलर्जी से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।