हैदराबाद। हैदराबाद 2005 में पुलिस विभाग की एक इमारत में होने वाले आत्मघाती बम विस्फोट मामले में गुरुवार को हैदराबाद की मेट्रोपोलिटन सत्र अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इस मामले में गिरफ्तार किए गए 10 मुस्लिम युवकों को न केवल बाइज्जत बरी कर दिया बल्कि इस मामले में पुलिस की कड़ी निंदा भी की। अदालत ने पुलिस की कड़ी निंदा करते हुए सवाल किया कि इतने बरस हो गए लेकिन पुलिस किसी भी एक आरोपी के खिलाफ एक भी सबूत इकट्ठा नहीं कर सकी। इसी वजह से अदालत ने सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए सभी मुस्लिम नौजवानों को रिहा कर दिया। गौरतलब है कि इस मामले में एक मुस्लिम युवक जमानत पर रिहा था जबकि शेष 9 जेल में ही थे।
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इस मामले में एसआईटी ने जांच करते हुए मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया था। गौरतलब है कि हैदराबाद के बेगमपेट इलाके में 12 अक्तूबर 2005 को पुलिस कार्यालय में एक बांग्लादेशी आत्मघाती हमलावर द्वारा विस्फोट किया गया था जिसमें एक होमगार्ड की मौत हो गई थी। जबकि एक दूसरा व्यक्ति घायल हो गया था। विशेष जांच दल (एसआईटी) ने दावा किया था कि इस हमले के पीछे बांग्लादेशी संगठन हरकतुल जिहादे इस्लामी का हाथ था। आत्मघाती हमलावर की पहचान हरकतुल जिहाद के सदस्य के तौर की गई थी। एसआईटी ने इस मामले में जांच करते हुए मोहम्मद जाहिद, अब्दुल कलीम, शकील, सैयद हाजी, अजमल खान, अजमत अली, महमूद बारूद वाला, शाइक अब्दुल ख्वाजा, नफीस बिस्वास और बांग्लादेशी नागरिक बिलालु दीन को गिरफ्तार करके उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जबकि 3 आरोपियों के बारे में बताया कि वह दुर्घटनाओं में मारे जा चुके हैं और 7 अब भी फरार हैं। इस मामले में पहले दिन से यही कहा जा रहा था कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है वह वास्तविक अपराधी नहीं हैं लेकिन एसआईटी की ओर से इस संबंध में कोई फरियाद नहीं सुनी गई।
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उधर नामपल्ली अदालत ने गुरुवार को जब यह फैसला सुनाया और कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ सबूत पेश करने में विफल रहा तो अदालत में मौजूद इन युवकों के परिजनों ने खुशी के मारे नारे बुलंद किए। हालांकि न्यायाधीश ने उन्हें चुप करा दिया और उसके बाद पुलिस की कड़ी निंदा करते हुए इस मामले में सबूत न जुटा पाने की इस कमजोरी को निशाना बनाया। गौरतलब है कि यह फैसला लगभग 12 साल बाद आया है। पुलिस ने 20 लोगों को आरोपी बनाया था जिनमें से अब तक तीन की मौत हो गई है। अदालत ने 10 युवाओं को निर्दोष करार दिया। इस बम विस्फोट में पुलिस का एक होमगार्ड सत्यनारायण और बंगाली नागरिक दिलान मारा गया था। पुलिस ने इन युवकों को विभिन्न क्षेत्रों से गिरफ्तार किया था और उन पर अलग तिथियों मुकदमा चलाया गया। इस दौरान भी वकील डिफेंस यही कहते रहे कि उक्त युवक निर्दोष हैं लेकिन उनकी एक न सुनी गई। अदालत के बाहर मीडिया का भीड़ देखा गया, कि वह इस मामले के कवरेज के लिए वहाँ पहुँचे थे। जैसे ही अदालत का फैसला आया और बाहर मौजूद मीडिया के प्रतिनिधियों को मालूम हुआ, तेलंगाना के लगभग हर चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज चलाई जाने लगी।
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गौरतलब है कि पुलिस ने इस विस्फोट के लिए बांग्लादेश हरकतुल्ला मुजाहिदीन नामक संगठन को जिम्मेदार करार दिया था। अदालत के इस फैसले पर अभियोजन पक्ष ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए इस फैसले का स्वागत किया। बरी होने वाले युवाओं में हैदराबाद से जाहिद, अब्दुल कलीम, शकील, अजमत अली, ख्वाजा और सैयद हाजी का संबंध है, जबकि कोलकाता से हीलाल, नफीस बिस्वास और अन्य हैं। इसी दौरान इस बात की सूचना मिल रही है कि अभियोजन पक्ष इस फैसले के खिलाफ हैदराबाद हाईकोर्ट में अपील करने पर विचार कर रहा है।
बता दें कि एसआईटी ने यह दावा किया था कि आत्मघाती हमले में असली षड्यंत्रकारी मोहम्मद शाहिद उर्फ बिलाल और गुलाम यजदानी पाकिस्तान और दिल्ली में मारे गए। आरोपियों के वकील अब्दुल अजीम ने संवाददाताओं को बताया कि अदालत ने आरोपियों को बरी कर दिया है। क्योंकि अभियोजन सबूत पेश करने में विफल रहा। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष पूरी तरह एसआईटी के सामने आरोपियों द्वारा दिए गए इकबालिया बयान और परिस्थितियों पर निर्भर था। उन्होंने कहा कि पुलिस ने आरोपियों को बिना किसी सबूत के गिरफ्तार किया था। इसलिए अदालत ने इन सभी को बाइज्जत बरी कर दिया। बहरहाल इन युवकों के परिजनों ने राहत की सांस ली है और अदालत का धन्यवाद भी किया।