शायरी : हमारा कसूर है माना, तूम्हे अपना जो है hamara kasoor hai mana
हमारा कसूर है माना,
तूम्हे अपना जो है जाना,
तुम्हारे बिन ये जवां मर्ज जैसा हैं,
हमे जन्नत का हर घोष भी गोया नर्म जैसा हैं,
हकिकत में अगर सोचो,
मुहब्बत में आने का काम ही क्या है,
चलो अब मान भी जाओ,
कि तूमको हम मनाते हैं,
हमें तूमसे मोहब्बत है।