क्या सदा बना रहेगा Health services का अभाव?
आज हर घर में कोई ना कोई व्यक्ति बीमार जरूर मिल जाता है। गरीब आदमी कमाता कम है और दवाइयों पर उसका पैसा ज्यादा खर्च होता है। वह अगर प्राइवेट अस्पताल में जाएं तो उसकी इतनी फीस कि वह कर्ज लेकर भी उसे चुका नहीं पाता और सरकारी अस्पताल में जाये वहाँ तो साधन उपलब्ध नही है और डॉक्टरों की भी कमी है।
उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा रही हैं। चाहे पहाड़ हो या फिर मैदान, सब जगह अस्पतालों की स्थिति काफी चिंताजनक बनी हुई हैं। सरकारी सिस्टम की कमियों के चलते ही आज इतने प्राइवेट क्लीनिक की अस्पताल पनप गए हैं, जो गरीबों को लूट रहे हैं| आज मीटरो के दायरे में ही निजी क्लीनिक और अस्पताल मिल जाया करते हैं, जबकि बड़े से बड़े शहर में भी मुश्किल से सरकारी अस्पताल नहीं मिल पाते।
अस्पतालों में अक्सर मशीनें खराब पड़ी रहती
उनकी ही हालत ऐसी होती है लोग वहां जाना पसंद नहीं करते, हालांकि ऐसा नहीं है कि वहां तैनात चिकित्सक अनुभवी ना हो या उसके पास जानकारी ना हो, लेकिन लगातार अव्यवस्थाओं के चलते लोगों का सरकारी अस्पतालों से भरोसा उठ गया है। उन्हें डर रहता है सुरक्षा का। अस्पतालों में अक्सर मशीनें खराब पड़ी रहती हैं, दवाइयां खत्म हो जाया करती हैं, व्हीलचेयर तक वक्त पर उपलब्ध नहीं हो पाती हैं।
इन सुविधाओं के चलते हैं आम जनता बेहद परेशान रहती है। छोटी से छोटी बीमारी में भी यदि कोई निजी अस्पताल पहुंचता है, तो उसको हजारों रुपए का चूना लग जाता है| उसके पास और कोई विकल्प भी नहीं होता है। इसलिए जरूरत है स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने की, अन्यथा गरीब प्राइवेट अस्पतालों में पैसे भरते -भरते गरीबी के दलदल में और फसता चला जाएगा।