कहवा या हर्बल टी में प्रत्येक देश अपनी विशिष्टता स्थापित रखता वैसे भी कुदरत ने हर देश को ऐसी जड़ी-बुटियों से समृद्ध कर रखा है जो वहाँ के निवासियों को वैकल्पिक दवाईयों और टॉनिक के रूप में चंगा और राहत का देता हैं। चीन के बाद मलेशिया और इंडोनेशिया एक ऐसी ही जड़ी-बुटि से समृद्ध दो देश हैं जहां नित नए और सदियों से पारंपरिक तरीके में प्रचलित जड़ी-बुटियों से बने कहवा का राज है।
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मैं जब भी किसी देश में जाता हूँ तो वहाँ कि जड़ी बूटियों के खेती और नए एवं व्यावसायिक की मात्रा को देखता हूँ। मैं जब मलेशिया के दौरे पर गया था तो वहाँ मुझे एक अजीबो गरीब जड़ी-बूटी का कहवा पीने का मौका मिला। इसका नाम ‘तोंगत अली’ है, अरबी में तवास्को अकाजत अली जबकि मलाई भाषा में उसका नाम Tongkat Ali है। यह इसी नाम से इंडोनेशिया और वियतनाम, थाईलैंड में भी प्रसिद्ध है। कहीं इसका पाउडर, कहीं कैप्सूल और कहीं टी बैग बिक रहा है।
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‘तोंगत अली’ नामक इस जड़ी-बूटी की जड़ों को गर्म पानी में उबाल कर पिया जाता है। उसके चिकित्सा लाभ अनगिनत हैं। चूंकि यह आम उपयोग होने वाला कहवा है इसलिए उसकी उपयोगिता भी हर किसी को पता है। इसको गर्मी बढ़ाने के लिए पिया जाता है, तंत्रिका शक्ति स्रोत है, मलेशिया में चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि जो व्यक्ति Tongkat Ali का कहवा पीता रहता है वह जल्द बूढ़ा नहीं होता।
जिन लोगों के गुर्दे में पथरी हो, उन्हें यह कहवा पिलाया जाता है। ‘तोंगत अली’ पीने वालों को शुगर नहीं होती। मलेरिया का बेहतरीन इलाज है। रक्त संचार को समान्य रखता है। मलेशिया और इंडोनेशिया की महिलाएं हार्मोन ग्रेविटी बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करती हैं।
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