पाकिस्तान में इतिहास बरकरार, अभी तक किसी भी प्रधानमंत्री ने 5 साल की अवधि नहीं की पूरी

nawaz sharif

पाकिस्तान के 70 साल के इतिहास में कोई एक प्रधानमंत्री भी 5 साल की अवधि पूरी नहीं कर सका और आज भी लियाकत अली खान सबसे ज्यादा अवधि तक प्रधानमंत्री पद पर रहने का गौरव प्राप्त है। देश के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान लगभग 4 साल और 2 महीने तक प्रधानमंत्री पद पर रहे जिनके बाद लंबी अवधि तक प्रधानमंत्री पर रहने का सम्मान नवाज शरीफ को प्राप्त है जो 4 साल एक महीने और 23 दिन तक इस पद पर रहे जिन्हें 28 जुलाई 2017 यानी आज सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य करार दिया। प्रधानमंत्री पद पर तीसरे लंबी अवधि बिताने वाले पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी हैं जो 4 साल एक महीने और एक दिन तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे और उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य करार दिया था।

कौन कब प्रधानमंत्री रहा?

देश के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने 15 अगस्त 1947 को प्रधानमंत्री की शपथ जिनकी 16 अक्टूबर 1951 को रावलपिंडी में हत्या कर दी गई। लियाकत अली खान की शहादत के बाद निर्वाचित प्रधानमंत्री ख्वाजा नजीमुद्दीन को तत्कालीन राज्यपाल जनरल गुलाम मोहम्मद ने 17 अप्रैल 1953 को घर भेज दिया। ख्वाजा नजीमुद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट से उल्लेख किया लेकिन अदालत ने राष्ट्रपति गुलाम मुहम्मद के कदम की पुष्टि की।
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ख्वाजा नजीमुद्दीन के बाद मोहम्मद अली बोगरा सत्ता में आए उन्हें भी 1954 में राष्ट्रपति गुलाम मोहम्मद ने घर भेजा। चैधरी मोहम्मद अली 1955 में प्रधानमंत्री बने लेकिन राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा से प्रतिद्वंद्विता के कारण 12 सितंबर 1956 को इस्तीफा दे दिया। हुसैन शहीद सोहरावर्दी को भी इस्कंदर मिर्जा से मतभेद की बिना पर 1957 में हटा दिया गया। इब्राहीम इस्माईल चनद्रीगर को हुसैन शहीद सहरवर्दी के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया, वह लगभग 2 महीने इस पद पर रहे।

गवर्नर जनरल इस्कंदर मिर्जा ने फिरोज खान नून को 1957 में देश के सातवें प्रधानमंत्री के तौर पर तैनात किया जिन्हें 1958 में राष्ट्रपति अयूब खान ने मार्शल लॉ लगाते हुए उनकी सरकार खत्म की। देश में 13 साल मार्शल लॉ के बाद 1973 में संविधान बनने के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बने जिसके बाद 1977 के चुनाव में वह एक बार फिर सफल हुए और प्रधानमंत्री पद संभाला लेकिन इसी साल जुलाई के महीने में जनरल जियाउलहक ने देश में मार्शल लगाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया।
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जुल्फिकार अली भुट्टो के बाद 1985 में होने वाले बिना पक्षपातपूर्ण चुनाव में मोहम्मद खान जुनेजो देश के प्रधानमंत्री चुने गए जिनकी सरकार को 29 मई 1988 को समाप्त कर दिया गया। 1988 में बेनजीर भुट्टो ने देश की ग्यारहवें प्रधानमंत्री के तौर पर सत्ता संभाली लेकिन राष्ट्रपति गुलाम इसहाक खान ने 6 अगस्त 1990 में विशेष विकल्प (58 टू बी) का उपयोग करते हुए उनकी सरकार खत्म कर दी। 1990 में नवाज शरीफ पहली बार सत्ता में आए लेकिन उन्हें भी राष्ट्रपति गुलाम इसहाक खान ने 1993 में घर भेज दिया लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सरकार बहाल की।

प्रधानमंत्री पर बहाली के बाद राष्ट्रपति गंभीर मतभेदों के बाद प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और राष्ट्रपति गुलाम इसहाक खान दोनों ही कक्कड़ सूत्र के तहत 18 जुलाई 1993 को इस्तीफा देना पड़ा। 1993 में बेनजीर भुट्टो दूसरी बार सत्ता में आईं लेकिन इस बार भी वह 5 साल की अवधि पूरी न कर सकें और नवंबर 1996 में राष्ट्रपति फारूक लेगारी ने विशेषाधिकार के तहत उन्हें घर भेज दिया। 1997 में नवाज शरीफ दूसरी बार सत्ता में आए और इस बार भी वह 5 साल की अवधि पूरी न कर सके जिनकी हुकुमत का तखता उस वक्त के आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ ने 12 अक्टूबर 1999 पलट दिया।
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जनरल परवेज मुशर्रफ के शासनकाल के दौरान तीन प्रधानमंत्रियों ने प्रधानमंत्री का पद संभाला, मीर जफर-उल्लाह खान जमाली केवल 19 महीने, चैधरी शुजात हुसैन 2 महीने जब परवेज मुशर्रफ के करीबी दोस्त शौकत अजीज अगस्त 2004 से नवंबर 2007 तक प्रधानमंत्री पद पर रहे। 2008 के चुनाव में यूसुफ रजा गिलानी पीपीपी की ओर से प्रधानमंत्री चुने गए लेकिन वह भी 5 साल की अवधि पूरी नहीं कर सके जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना ​​के जुर्म में पद से हटाया। 2013 में नवाज शरीफ एक बार फिर प्रधानमंत्री पद पर काबिज हुए लेकिन इस बार भी वह पांच साल की अवधि पूरी नहीं कर सके और 28 जुलाई 2017 को यानी आज सुप्रीम कोर्ट ने पनामा केस का फैसला सुनाते हुए उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया। नवाज शरीफ 4 साल एक महीने और 23 दिन सत्ता में रहे।