हार्मोनल असंतुलन पीसीओएस का एक मुख्य कारण : डाॅ0 सुजाता

Hormonal imbalance
जागरूकता कार्यक्रम के दौरान डा. सुजाता संजय और छात्राएं।

Hormonal imbalance

देहरादून। Hormonal imbalance सोसाइटी फार हैल्थ ऐजूकेशन एंड वूमैन एमपावरमेन्ट ऐवेरनेस (सेवा) जाखन द्वारा राजकीय माॅडल इन्टरमीडिएट कालेज किशनपुर देहरादून में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित डाॅ0 सुजाता संजय स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञा ने किशोरियों एवं महिलाओं को पाॅलीसिस्टिक ओवरीयन सिंडोम (PCOS) की बढ़ती हुई समस्याओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी, जिससे कि युवतियाॅ इस बढ़ती हुई समस्या से निजात पा सके।

इस जन-जागरूकता व्याख्यान में लगभग 200 से भी ज्यादा किशोरियों ने भाग लिया। इस समस्या से किशोरियों को निजात दिलाने हेतु सेवा एन.जी.ओ. ने एक जागरूकता अभियान चलाया है।  डाॅ0 सुजाता संजय ने कहा कि हार्मोनल असंतुलन ( Hormonal imbalance ) का एक मुख्य कारण है।

आजकल लड़कियों में छोटी सी ही उम्र से PCOS यानी की पोलिसिस्टिक ओवरी सिंडोम की समस्या देखने को मिल रही है। चिंता की बात यह है कि कई सालों पहले यह बीमारी केवल 30 वर्ष के उपर की महिलाओं में ही आम होती थी, लेकिन आज इसका उल्टा ही देखने को मिल रहा है।

यह गड़बड़ी पिछले 10 से 15 सालों में दोगुनी हो गई

डाॅक्टरों के अनुसार यह गड़बड़ी पिछले 10 से 15 सालों में दोगुनी हो गई है। डाॅ0 सुजाता संजय ने बताया कि जब सेक्स हार्मोन में असंतुलन ( Hormonal imbalance ) पैदा हो जाती है। हार्मोन में जरा सा भी बदलाव मासिक धर्म चक्र पर तुरंत असर डालता है।

अगर यह समस्या लगातार बनी रहती है तो न केवल ओवरी और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है बल्कि यह आगे चलकर कैंसर का रूप भी ले लेती है। दरअसल महिलाओं और पुरूषों दोनों के शरीरों में प्रजनन संबंधी हार्मोन बनते हैं।

एंडोजेंस हार्मोन पुरूषों के शरीर में भी बनते हैं, लेकिन PCOS की समस्या से ग्रस्त महिलाओं के अंडाशय में हार्मोन सामान्य मात्रा से अधिक बनते हैं। यह स्थिति सचमुच में घातक साबित होती है।

ये सिस्ट छोटी-छोटी थैलीनुमा रचनाएं होते है, जिनमें तरल पदार्थ भरा होता है जो अंडाशय में ये सिस्ट एकत्र होते रहते हैं और इनका आकार भी धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है। यह स्थिति पाॅलिसिस्टिक ओवेरियन सिंडोम ( PCOS ) कहलाती है और यह समस्या ऐसी बन जाती है, जिसकी वजह से महिलाऐं गर्भ धारण नहीं कर पाती हैं।

स्वास्थ्य पर खासतौर से ध्यान देने की आवश्यकता

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में महिलाएं अपने स्वास्थ्य की अनदेखी कर देती हैं, जिसका खमियाजा उन्हें विवाह के बाद भुगतना पड़ता है। लड़कियों को पीरियड्स शुरू होने के बाद अपने स्वास्थ्य पर खासतौर से ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

महिलाओं के चेहरे पर बाल उग आना, बारबार मुहांसे होना, पिगमैंटेशन, अनियमित रूप से पीरियड्स का होना और गर्भधारण में मुश्किल होना महिलाओं के लिए खतरे की घंटी है। डाॅ0 सुजाता संजय का मानना हैं कि सही वक्त पर इलाज शुरू न होने से मरीज का वजन तेजी से बढ़नेे लगता है।

अनवांटेड हेयर ग्रोथ टीनएजर्स को मेंटली डिस्टर्ब करती है। इसका लाॅन्ग टर्म इफेक्ट डिप्रेशन के रूप में सामने आता है। इस बीमारी की पहचान देरी से होती है। महिलाओं में अक्सर इसकी पहचान तब तक नहीं होती है जब तक उनमें गर्भधारण से संबंधित समस्याएं ना आ जायें।

30 प्रतिशत संतानहीन महिलाओं में की समस्या होती है। सटीक कारण पता नहीं चलते, लेकिन इसका कारण वंशानुगत और जीवनशैली से संबंधित दोनों ही माने जाते है। हो सकता है ओवेरियन कैंसर बदलती जीवनशैली और भागदौड़ भरी जिंदगी में प्रत्येक घर की महिला तनाव का शिकार हो रही हैं।

उनमें से कामकाजी महिलाओं के तनाव का स्तर और भी अधिक होता है, यदि मरीजों को कजरवेटिव इलाज जैसे कि वजन घटाना, हार्मोनल दवाईयों के इस्तेमाल से भी यदि बीमारी ठीक नहीं होती तो ऐसे में इन मरीजों को लैपरोस्कोपिक सर्जरी से प्रभावित सिस्ट को निकाला जा सकता है।

लड़कियों को अपने खाने-पीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए

अन्ततः डाॅ0 सुजाता संजय ने यह कहा कि लड़कियों को अपने खाने-पीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए। चिकनाई रहित एवं जंक फुड का सेवन कम करना चाहिए। हरी सब्जियां और फल नियमित रूप से खाना चाहिए।

टीनएजर्स को क्रैश डाइटिंग, लेट नाइट पार्टी, ड्रिंकिंग और स्मोकिंग से बचना चाहिए। यदि आपको लगता है कि आपको यह बीमारी होने की संभावना है तो तुरंत किसी प्रशिक्षित स्त्री रोग विशेषज्ञा से संपर्क करना चाहिए। यह कोई लाइलाज बीमारी नहीं है।

डाॅ0 सुजाता संजय बताती हैं कि इस समस्या का ठीक से इलाज न किया जाना, एक लड़की को मां बनने की क्षमता से वंचित कर सकता है। साथ ही यह प्रजनन आयु में परेशानियां भी पैदा करता है।

सही समय पर PCOS का सही इलाज, गंभीर प्रभाव और जोखिम को कम करने में मदद करता है, स्वस्थ भोजन और नियमित व्यायाम के जरिये भी इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। इसके अलावा साल में एक बार मधुमेह अथवा ग्लूकोेज चैलेंज टेस्ट अवश्य कराएं।

साथ ही एक स्वस्थ जीवनशैली को बनाऐ रखने के लिए आप चिकित्सक या आहार विशेषज्ञ से भी परामर्श ले सकते हैं। सही आहार, नियमित व्यायाम और लाइफस्टइल में सुधार कर के इस समस्या को रोका जा सकता है।

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